Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश की सियासी फिजा गरम हो चुकी है। 2027 विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहा है, राजनीतिक दलों की हलचल तेज़ हो रही है। बीजेपी अपने पुराने रिकॉर्ड को दोहराने की कोशिश में है, समाजवादी पार्टी 2012 से बेहतर प्रदर्शन का दावा कर रही है, लेकिन सबसे चौंकाने वाली तैयारी मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की है।
मायावती का मास्टरस्ट्रोक: 'प्लान 230'
बसपा सुप्रीमो मायावती ने पर्दे के पीछे एक ऐसा प्लान तैयार किया है, जिससे 20 साल बाद पार्टी की सत्ता में वापसी संभव लग रही है। इसे 'प्लान 230' नाम दिया गया है। इस रणनीति के तहत पार्टी ने प्रदेश की 403 में से 230 सीटों पर पूरा ध्यान केंद्रित किया है।
इन सीटों का चयन खास आधार पर किया गया है। यहां पार्टी का पारंपरिक वोटबैंक मज़बूत है, और विरोधी दलों के वोट बंटने की संभावना ज़्यादा है। इस बार बसपा पुराना 'सोशल इंजीनियरिंग' फार्मूला नए अवतार में लेकर आई है।
जातीय समीकरण पर फोकस
2007 में दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण गठजोड़ से बसपा को बहुमत मिला था। अब पार्टी उसी नीति को विस्तार देते हुए अति पिछड़े, ठाकुर और मुस्लिम वोटरों को भी साधने की तैयारी में है। एक बसपा नेता के अनुसार, “100 से अधिक सीटों पर दलित-ओबीसी गठजोड़ को ताकत देंगे, जबकि 80 सीटों पर ब्राह्मण-ठाकुर समीकरण को सक्रिय किया जाएगा।”
हर मंडल में माइक्रो प्लानिंग
मायावती ने हर मंडल में 4-4 कोऑर्डिनेटर तैनात किए हैं, जो जमीनी स्तर पर कैडर कैंप और बैठकें कर रहे हैं। इनका मकसद है—कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना और संगठन को मजबूत करना। उम्मीदवारों की सूची भी गुप्त बैठकों में लगभग फाइनल कर दी गई है।
कांशीराम पुण्यतिथि रैली बनी टर्निंग पॉइंट
लखनऊ में हाल ही में हुई कांशीराम पुण्यतिथि रैली में लाखों लोगों की भीड़ जुटी। इससे पार्टी को ज़बरदस्त ऊर्जा मिली है और कार्यकर्ताओं में नई उम्मीद जगी है। बसपा इसे एक तरह की ‘प्री-विजयी रैली’ मान रही है।

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