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Up Kiran, Digital Desk: नए वर्ष में भारत का स्मार्टफोन उद्योग दोहरे दबाव का सामना कर सकता है। एक ओर वैश्विक स्तर पर मेमोरी चिप की गंभीर कमी बनी हुई है, वहीं दूसरी ओर बढ़ती लागत के कारण कंपनियों को फोन की कीमतों में इज़ाफा करना पड़ सकता है। काउंटरपॉइंट रिसर्च के अनुसार, जून 2026 की तिमाही तक मेमोरी चिप की कीमतों में 40 प्रतिशत तक उछाल देखा जा सकता है, जिससे स्मार्टफोन की कुल लागत में 8 से 15 प्रतिशत तक की वृद्धि होने की संभावना है।

ग्राहकों पर पड़ेगा असर
इस बढ़ी हुई लागत का पूरा या आंशिक बोझ ग्राहकों पर डाला जा सकता है, जिससे स्मार्टफोन की मांग पर असर पड़ने की पूरी उम्मीद है। काउंटरपॉइंट रिसर्च के निदेशक तरुण पाठक का कहना है कि संशोधित अनुमानों के अनुसार 2026 में बाजार में गिरावट गंभीर हो सकती है।

उनके अनुसार, 10,000 रुपए तक के एंट्री-लेवल स्मार्टफोन सेगमेंट में शिपमेंट वॉल्यूम 15 प्रतिशत से अधिक घट सकता है। यह सेगमेंट कुल स्मार्टफोन शिपमेंट में करीब 18 प्रतिशत का हिस्सा रखता है। वहीं, सभी श्रेणियों को मिलाकर कुल शिपमेंट में औसतन 3 से 5 प्रतिशत की कमी आने का अनुमान है।

स्मार्टफोन शिपमेंट का अनुमान
स्मार्टफोन की कुल लागत में मेमोरी चिप की हिस्सेदारी 12 से 16 प्रतिशत होती है। ऐसे में मेमोरी चिप की कीमत बढ़ने का सबसे ज्यादा असर सस्ते फोन पर होगा, जबकि मिड और प्रीमियम सेगमेंट पर इसका असर कम रहेगा। यह स्थिति इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि पिछले दो साल से स्मार्टफोन शिपमेंट स्थिर बने हुए हैं। 2025 में शिपमेंट 15.3 करोड़ यूनिट रहने का अनुमान है, जो 2024 के लगभग बराबर है।

हालांकि, मूल्य के हिसाब से बाजार 2025 में करीब 9 प्रतिशत की वृद्धि के साथ समाप्त हो सकता है, क्योंकि उपभोक्ताओं का रुझान प्रीमियम स्मार्टफोन की ओर बढ़ रहा है, लेकिन तरुण पाठक का कहना है कि 2026 में 5 से 9 प्रतिशत तक की मूल्य वृद्धि प्रीमियमाइजेशन के बजाय बढ़ती उत्पादन लागत के कारण होगी।

स्मार्टफोन उद्योग के लिए 2026 चुनौतीपूर्ण
मोबाइल कंपनियां भी इस समस्या को मान रही हैं। श्याओमी इंडिया के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर सुधीन माथुर ने कहा कि मेमोरी की बढ़ती कीमतों के कारण मूल्य वृद्धि करना आवश्यक हो गया है और कई कंपनियां पहले ही ऐसा कर चुकी हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ईएमआई विकल्प के कारण उपभोक्ताओं पर इसका असर कुछ हद तक कम हो सकता है।