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मायावती ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण निर्णय है, क्योंकि 'धर्मनिरपेक्षता' भारत के संविधान की मूल आत्मा है। उन्होंने जोर दिया कि यह शब्द देश की विविधता में एकता और सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान के सिद्धांत को दर्शाता है। उनका मानना है कि इस शब्द को हटाना देश के लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को कमजोर कर देता।
पिछले कुछ समय से ऐसी अटकलें थीं कि सरकार संविधान की प्रस्तावना में कुछ बदलाव कर सकती है, जिससे 'धर्मनिरपेक्षता' जैसे शब्दों को हटाया जा सकता है। इन अटकलों ने विपक्ष और कई नागरिक समाज संगठनों के बीच चिंता पैदा कर दी थी।
केंद्र सरकार ने अब स्पष्ट किया है कि संविधान की मूल संरचना में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा और 'धर्मनिरपेक्षता' शब्द अपनी जगह पर बना रहेगा। इस आश्वासन से उन चिंताओं को दूर करने की कोशिश की गई है जो इस मुद्दे पर पनप रही थीं।
मायावती का इस निर्णय का स्वागत करना दर्शाता है कि यह मुद्दा राजनीतिक हलकों में कितना संवेदनशील और महत्वपूर्ण था। यह कदम देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बनाए रखने की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।
 
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