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Up Kiran, Digital Desk: कर्नाटक के चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ी सफलता मिली है, जहाँ डॉक्टरों ने एक दुर्लभ थायराइड विकार का इलाज एक ऐसी अत्याधुनिक विधि से किया है जिसमें न तो कोई बड़ा चीरा लगा और न ही कोई निशान छोड़ा गया। यह उपलब्धि उन मरीजों के लिए एक बड़ी उम्मीद है जिन्हें थायराइड सर्जरी के बाद गर्दन पर निशान पड़ने का डर होता है।

डॉक्टरों ने 'न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया' (Minimally Invasive Procedure) का इस्तेमाल किया, जो एंडोस्कोपिक या रोबोटिक तकनीकों पर आधारित होती है। इस विधि में बहुत छोटे छेद या प्राकृतिक छिद्रों (जैसे मुंह) के माध्यम से सर्जरी की जाती है, जिससे बाहरी रूप से कोई बड़ा कट या निशान नहीं दिखता।

 यह उन युवा मरीजों और खासकर महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद है जो कॉस्मेटिक कारणों से सर्जरी से बचना चाहते हैं।

इस नई तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि मरीज को कम दर्द होता है, अस्पताल में कम समय रहना पड़ता है और रिकवरी भी बहुत तेजी से होती है। पारंपरिक सर्जरी की तुलना में यह तरीका न केवल शारीरिक रूप से कम थकाने वाला है, बल्कि मानसिक रूप से भी मरीज को जल्दी उबरने में मदद करता है।

यह उपलब्धि भारत में चिकित्सा नवाचार को दर्शाती है और यह साबित करती है कि भारतीय डॉक्टर भी अब विश्व स्तर की उन्नत सर्जिकल तकनीकों को अपना रहे हैं। यह दुर्लभ थायराइड विकारों से जूझ रहे हजारों लोगों के लिए आशा की एक नई किरण है, जिन्हें अब बिना किसी बड़े निशान और लंबे दर्द के सामान्य जीवन जीने का मौका मिल सकता है।

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