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Up Kiran, Digital Desk: उत्तर-पूर्वी भारत (North-East India) की राजनीति में जनसंख्या (Population) का मुद्दा हमेशा से एक बहुत संवेदनशील (Sensitive) और बड़ा मुद्दा रहा है। इसी बीच, असम (Assam) के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने 'मियाँ मुस्लिम' समुदाय (Miya Muslims) को लेकर एक चौंकाने वाला दावा (Claim) किया है, जिससे राज्य के राजनीतिक गलियारे में बड़ी बहस शुरू हो गई है। सीएम सरमा ने चिंता जाहिर की है कि, जल्द ही, यह समुदाय असम राज्य का सबसे बड़ा समुदाय (Largest Community) बन जाएगा।

मुख्यमंत्री ने अपने इस दावे के पीछे 'जनसांख्यिकीय चिंताओं' (Demographic Concerns) और समुदायों की बढ़ती आबादी (Rising Population) को प्रमुख कारण बताया है।

क्या हैं जनसांख्यिकीय चिंताएँ: सीएम सरमा के इस बयान को महज़ एक राजनीतिक बयान (Political Statement) नहीं माना जा रहा है, क्योंकि उनका सीधा मकसद विकास दर (Growth Rate) की तरफ इशारा करना था। उनके अनुसार, 'मियाँ मुस्लिम' समुदाय की जनसंख्या (Population) जिस तेज़ी से बढ़ रही है, वह राज्य की समग्र सामाजिक बुनियाद (Social Fabric) और यहाँ के संसाधनों (Resources) पर भारी दबाव डाल सकता है।

संसाधनों पर तनाव: इतनी तेज़ी से जनसंख्या (Demography) बढ़ने से राज्य के सीमित संसाधनों (पानी, ज़मीन, शिक्षा) पर बोझ बढ़ जाता है।

संस्कृति और सामाजिक संतुलन: सीएम सरमा के समर्थक मानते हैं कि जनसांख्यिकीय बदलाव असम की स्थानीय संस्कृति (Local Culture) और समुदायों के बीच के संतुलन को प्रभावित कर सकता है, जिसकी सुरक्षा करना राज्य सरकार की प्राथमिकता है।

सीएम की आगे की रणनीति: हिमंता बिस्वा सरमा इस समुदाय पर अक्सर खुलकर बात करते रहे हैं। उनका उद्देश्य केवल जनसंख्या के आंकड़े देना नहीं है, बल्कि एक तरह से मियाँ मुस्लिम समुदाय के भीतर शिक्षा और छोटे परिवार (Small Family Norm) के नॉर्म्स को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा सामाजिक और राजनीतिक संवाद (Social Dialogue) शुरू करना भी है। अब असम की राजनीति (Politics) में आने वाले दिनों में यह जनसंख्या और समुदायों के विकास का मुद्दा और भी ज्यादा महत्वपूर्ण (Important) रहने वाला है।