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Up Kiran, Digital Desk: जम्मू-कश्मीर एक ऐसा क्षेत्र है जो दशकों से राजनीतिक अस्थिरता सीमा विवाद और आतंकी गतिविधियों का केंद्र रहा है। मगर इन तमाम चुनौतियों के बावजूद केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर यहां के लोगों के जीवन को खुशहाल और सुरक्षित बनाने के लिए लगातार कोशिश कर रही हैं। खासतौर से उन हजारों परिवारों के लिए जिन्हें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) और चंब से विस्थापित होना पड़ा सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं जो न केवल उन्हें आर्थिक राहत देती हैं बल्कि उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने की नई शुरुआत भी देती हैं।
1. विस्थापन की पीड़ा और PoK से जुड़ी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
1947 में देश की आजादी के तुरंत बाद पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाने की कोशिशें शुरू कर दी थीं। PoK यानी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आज भी पाकिस्तान की दमनकारी गतिविधियां जारी हैं। मगर इसी अशांति के दौर में कुछ ऐसे परिवार भी थे जिन्होंने पाकिस्तान के बजाय भारत को अपनाया और अपने वतन के तौर पर जम्मू-कश्मीर में बसने का निर्णय लिया।
इनमें वे परिवार भी शामिल हैं जो 1965 और 1971 की भारत-पाक युद्ध के दौरान चंब सेक्टर से विस्थापित हुए। उनके लिए यह केवल एक जगह छोड़ने का मामला नहीं था बल्कि उनकी पूरी जिंदगी उनकी पहचान और उनका भविष्य दांव पर लग गया था।
2. सरकार की ओर से 'वन टाइम सेटलमेंट' योजना
2015 में केंद्र सरकार ने एक बेहद अहम कदम उठाया—वन टाइम सेटलमेंट योजना। इसका उद्देश्य था PoK और चंब से विस्थापित 36384 परिवारों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और उन्हें पुनः आत्मनिर्भर बनाना। जम्मू-कश्मीर सरकार ने पहले प्रत्येक परिवार को 25 लाख रुपये की सहायता की मांग की थी मगर विस्तृत समीक्षा के बाद केंद्र सरकार ने 550000 रुपये प्रति परिवार की आर्थिक सहायता को मंजूरी दी।
यह योजना मोदी सरकार के शुरुआती निर्णयों में से एक थी जिसे एक मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति के रूप में देखा गया।
3. 2000 करोड़ रुपये का प्रधानमंत्री विकास पैकेज
इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2015 में 2000 करोड़ रुपये का प्रधानमंत्री विकास पैकेज जारी किया। इस पैकेज के तहत:
केंद्र सरकार ने प्रति परिवार 549692 रुपये की आर्थिक मदद दी।
जम्मू-कश्मीर सरकार ने प्रतीकात्मक रूप से 308 रुपये जोड़े।
यह सहायता एकमुश्त नहीं दी गई बल्कि योजनागत तरीके से वितरित की गई ताकि परिवारों को लंबे समय तक इसका लाभ मिल सके।
इस मदद से विस्थापित परिवारों को शिक्षा स्वास्थ्य आवास और स्वरोजगार के क्षेत्र में मजबूती मिली है।
4. किसे मिला योजना का लाभ
सरकार की ओर से बनाई गई लाभार्थियों की सूची में तीन प्रमुख वर्ग शामिल हैं:
1947 में PoK से विस्थापित परिवार
1965 की जंग के दौरान चंब से विस्थापित परिवार
1971 की जंग के समय चंब सेक्टर से आए विस्थापित
इन परिवारों के लिए आवश्यक था कि वे जम्मू-कश्मीर सरकार के पास संबंधित दस्तावेजों के साथ आवेदन करें। मंजूरी मिलने के बाद यह राशि DBT (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से सीधे उनके आधार से लिंक बैंक खातों में ट्रांसफर की जाती है।
5. आगे की राह: उम्मीद की एक नई किरण
भारत सरकार की यह योजना न केवल आर्थिक सहायता का जरिया है बल्कि यह विस्थापितों को समाज में सम्मानजनक जीवन देने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है। इससे यह भी संदेश गया कि भारत अपने नागरिकों को कभी नहीं भूलता चाहे वे कितनी भी कठिन परिस्थिति में क्यों न हों।
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