_2110000717.png)
जम्मू-कश्मीर के फिलिस्तीन में मारे गए आतंकियों के हमले के बाद भारत सरकार ने सीमा पार की चुनौती के खिलाफ एक मजबूत संदेश देते हुए सख्त कदम उठाया है। सरकार ने देश में रह रहे विदेशी नागरिकों के सरदारों को रद्द कर दिया है और उन्हें अपने देश वापस लेने का आदेश जारी किया है। इस फैसले से महाराष्ट्र में रह रहे बड़ी संख्या में विदेशी नागरिक प्रभावित होंगे।
महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार वर्तमान में राज्य में विभिन्न मस्जिदों के तहत कुल 5023 विदेशी नागरिक रह रहे हैं। इनमें से किसी भी विशेषज्ञ के लिए आवेदन करने वाले लोग शामिल नहीं हैं।
250 भेजे जायेंगे वापस
केंद्र सरकार ने विशेष रूप से जनरल स्टाफ को भारत में आने वाले विदेशी यात्रियों को वापस ले जाने का स्पष्ट निर्देश दिया है। महाराष्ट्र में ऐसे करीब 250 लोगों की पहचान कर उन्हें वापस लाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। अफसरों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह निर्वासन आदेश केवल उन लोगों पर लागू होगा जो साध्य स्वामी के पास रहेंगे।
107 विदेशी नागरिकों का नहीं मिल रहा पता सुरक्षा एजेंसी
कानूनी शिक्षा के लिए एक बड़ा चिंता का विषय यह है कि राज्य में 107 विदेशी नागरिक वर्तमान में लापता हैं। ये नागरिक या तो जमीनी स्तर पर हो गए हैं या भारत में प्रवेश करने के बाद संपर्क से ही कोई स्थापित नहीं हो सका है। इसके अतिरिक्त 34 अन्य विदेशी नागरिक ऐसे हैं जो वैध दस्तावेजों के बिना राज्य में अवैध रूप से रह रहे हैं। इन लापता और अवैध रूप से रह रहे हैं नागरिकों की तलाश तेज कर दी गई है क्योंकि सुरक्षा एजेंसी इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक आतंकवादी खतरा मान रही हैं।
मध्य प्रदेश: कल 26 अप्रैल 2025 तक 228 पाकिस्तानी लोगों को 27 अप्रैल की समय सीमा से पहले राज्य छोड़ने के लिए कहा गया।
बिहार: अफसरों ने बताया कि सभी पाकिस्तानी नागरिक 27 अप्रैल की समय सीमा से पहले ही बिहार छोड़ चुके हैं।
महाराष्ट्र: पिछले कुछ समय में पाकिस्तानी नागरिकों की ओर से नागरिकता के आवेदनों में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है।
जम्मू और कश्मीर: पाकिस्तान की सीमा से सटे होने के कारण यहां स्थिति जटिल है क्योंकि यहां संघर्ष जारी है और अलग अलग स्तर के लोग रहते हैं।
--Advertisement--