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Cancer Awareness: भारत सहित दुनिया भर में ओरल कैंसर एक चिंता का विषय बन गया है। who के मुताबिक, 2020 में ओरल कैंसर के कारण कुल 1,77,757 लोगों ने अपनी जान गंवाई। यह वैश्विक स्तर पर 13वां सबसे आम कैंसर है। यह भारत में अधिक आम है, क्योंकि यहां लोग गुटखा और पान मसाला जैसी चीजें बड़ी संख्या में खाते हैं।

अगर इस प्रकार के कैंसर का जल्दी पता चल जाए तो स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। आईआईटी कानपुर ने एक डिवाइस विकसित की है. इस डिवाइस की मदद से मुंह के कैंसर का शुरुआती चरण में ही पता लगाया जा सकता है। इस डिवाइस के दिसंबर 2024 तक बाजार में आने की उम्मीद है।

आईआईटी ने ये डिवाइस एक कंपनी को ट्रांसफर कर दी है। कंपनी ब्रश के आकार में डिवाइस का निर्माण और खरोद फरोख्त करेगी। इस डिवाइस का नाम 'मुंह परीक्षा' है। ये एक पोर्टेबल डिवाइस है. इस डिवाइस को प्रोफेसर जयंत कुमार सिंह ने डिजाइन किया है।

प्रोफेसर जयंत कुमार सिंह आईआईटी कानपुर में केमिकल इंजीनियरिंग विभाग में वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। आईआईटी ने इस डिवाइस का परीक्षण कानपुर शहर में करीब 3 हजार लोगों पर किया है. इसमें स्कूल के लोग, अस्पताल के कर्मचारी और फैक्ट्री के कर्मचारी शामिल हैं। प्रोफेसर जयंत कुमार सिंह के मुताबिक, मुंह के कैंसर का अगर शुरुआती चरण में पता चल जाए तो इसे काफी हद तक रोका जा सकता है।

भारत में ऐसे कई लोग हैं जिनमें इस कैंसर का पता दूसरे या तीसरे चरण में चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और इलाज करना मुश्किल होता है। ऐसे में ब्रश के आकार का यह उपकरण महत्वपूर्ण हो सकता है। यह एक सामान्य उपकरण है. जिसमें सफेद और फ्लोरोसेंट प्रकाश स्रोतों का उपयोग किया जाता है। प्रोफेसर जयंत कुमार सिंह ने कहा, इसे स्मार्टफोन, टैबलेट, आईपैड जैसे गैजेट्स से वायरलेस तरीके से कनेक्ट किया जा सकता है।

इसके साथ ही इस डिवाइस में पावर बैकअप भी है। साथ ही, यह ट्रैकिंग और डेटा इतिहास भी संग्रहीत करता है। यह डिवाइस क्लिनिकल सेटिंग्स में 90 प्रतिशत सटीकता प्रदान कर सकता है। इसका उपयोग करना सुरक्षित है और इसके लिए किसी भी प्रकार के रासायनिक उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। यह ब्रश जैसा उपकरण कैंसरयुक्त ऊतक और सामान्य ऊतक के बीच अंतर बता सकता है। प्रोफेसर जयंत कुमार सिंह ने बताया कि इसके जरिए दोनों तरफ के गाल और जीभ की जांच की जा सकती है.

वहीं, इस डिवाइस की कीमत अभी तय नहीं की गई है। इस डिवाइस की कीमत एक से दो लाख रुपये के बीच तय होने की संभावना है. क्योंकि, इस डिवाइस को बनाने के लिए ऐसे कई डिवाइस की मदद ली गई है। इन उपकरणों को विदेशों से आयात करना पड़ता है। दिलचस्प बात ये है कि ब्रश वाला ये एकल उपकरण लगभग 5 लाख रोगियों का परीक्षण कर सकता है, जिससे यह कुल मिलाकर लागत प्रभावी हो जाता है।

वहीं, इस डिवाइस की कीमत अभी तय नहीं की गई है। हालांकि, इस डिवाइस की कीमत एक से दो लाख रुपये के बीच तय होने की संभावना है. क्योंकि, इस डिवाइस को बनाने के लिए ऐसे कई डिवाइस की मदद ली गई है। इन उपकरणों को विदेशों से आयात करना पड़ता है। दिलचस्प बात यह है कि ब्रश वाला यह एकल उपकरण लगभग 5 लाख रोगियों का परीक्षण कर सकता है, जिससे ये कुल मिलाकर लागत प्रभावी हो जाता है।

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