
भारत में जब भी सफल उद्यमियों की बात होती है, तो मुकेश अंबानी का नाम सबसे पहले लिया जाता है। वे सिर्फ रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और एमडी नहीं हैं, बल्कि एक सोच, एक दृष्टिकोण और एक प्रेरणा हैं। आज, 19 अप्रैल को मुकेश अंबानी अपना 68वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनके जीवन का हर अध्याय यह बताता है कि कैसे एक साधारण परिवार से निकला युवक एक ग्लोबल बिजनेस आइकन बन गया।
विदेश में जन्म, भारत में पहचान
मुकेश अंबानी का जन्म 19 अप्रैल 1957 को ब्रिटिश क्राउन कॉलोनी अदन (अब यमन) में हुआ। उनके पिता धीरूभाई अंबानी एक साधारण व्यापारी थे, लेकिन सपने बेहद बड़े थे। 1966 में उन्होंने रिलायंस की नींव रखी। मुकेश की शुरुआती पढ़ाई मुंबई के हिल ग्रेंज हाई स्कूल से हुई, फिर उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी से केमिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एमबीए की पढ़ाई शुरू की, लेकिन पिता के बुलावे पर 1981 में भारत लौट आए और बिजनेस में शामिल हो गए।
रिलायंस को टेक्सटाइल से तेल और गैस तक ले जाने वाला विजन
1980 के दशक में जब भारत में पेट्रोकेमिकल्स सेक्टर उभर रहा था, मुकेश अंबानी ने इसे अपनी रणनीति का केंद्र बनाया। उन्होंने रिलायंस को महज टेक्सटाइल ब्रांड से उठाकर एक बहुराष्ट्रीय समूह बना दिया। जमनगर रिफाइनरी, जिसे आज दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनिंग यूनिट माना जाता है, मुकेश के स्केल और विजन का जिंदा उदाहरण है।
2002 में पिता की विरासत को संभालने के बाद बेजोड़ विस्तार
धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद 2002 में जब मुकेश अंबानी ने रिलायंस की कमान संभाली, तब कंपनी का मार्केट कैप 75,000 करोड़ रुपये था। आज यह आंकड़ा 17.26 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच चुका है। मुकेश अंबानी ने कंपनी को तेल और गैस के पार रिटेल, टेलीकॉम, डिजिटल सर्विसेज और ग्रीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों में विस्तार दिया।
जियो से टेलीकॉम में क्रांति, रिटेल में नेतृत्व
2016 में जब मुकेश अंबानी ने जियो लॉन्च किया, तो टेलीकॉम सेक्टर में एक नई क्रांति आ गई। मुफ्त डेटा और किफायती दरों ने जियो को कुछ ही वर्षों में देश की सबसे बड़ी मोबाइल सेवा कंपनी बना दिया। इसके साथ ही जियोमार्ट और रिलायंस रिटेल के जरिए उन्होंने ऑनलाइन और ऑफलाइन बाजार में भी बड़ा नाम बनाया।
संघर्ष भी आए, लेकिन कभी न रुके
मुकेश अंबानी के जीवन में चुनौतियां कम नहीं रहीं। छोटे भाई अनिल अंबानी से कंपनी के बंटवारे, पेट्रोलियम प्राइसिंग विवाद, स्पेक्ट्रम नीति पर उठे सवाल—इन सभी विवादों ने उन्हें घेरने की कोशिश की। लेकिन मुकेश अंबानी ने कभी आलोचनाओं का सार्वजनिक रूप से जवाब नहीं दिया, बल्कि अपने काम और नतीजों से आलोचकों को चुप कराया।
सम्मान और पहचान का प्रतीक बना वानखेड़े स्टेडियम में ‘रोहित स्टैंड’
मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने वानखेड़े स्टेडियम में रोहित शर्मा के नाम पर स्टैंड बनाकर उन्हें सम्मान दिया। इसी तरह बिजनेस की दुनिया में मुकेश अंबानी की सफलता और उनकी सोच, भारतीय कॉर्पोरेट वर्ल्ड के लिए एक प्रतीक बन चुकी है।
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