_2090376547.png)
Up Kiran, Digital Desk: बिहार विधानसभा चुनाव 2024 की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है और इस बार एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) अपनी ताकत को एकजुट करके चुनावी मैदान में उतरने के लिए पूरी तरह तैयार है। आगामी अक्टूबर-नवंबर में होने वाले इन चुनावों में एनडीए ने रणनीति से लेकर प्रचार तक सभी मोर्चों पर मजबूत तैयारी की है। पीएम मोदी जो इस गठबंधन के प्रमुख स्टार प्रचारक हैं पहले ही बिहार में अपने कार्यक्रमों का आगाज कर चुके हैं और उनका उद्देश्य राज्य के हर प्रमंडल में जनसभाएं और सरकारी कार्यक्रम आयोजित करके जनता से सीधे संपर्क साधना है।
जनसभाओं के माध्यम से बढ़ी हुई सक्रियता
बिहार में कुल 9 प्रमंडल हैं और पीएम मोदी ने पहले ही 3 प्रमंडलों में अपनी सभाएं और सरकारी कार्यों का शुभारंभ किया है। अब तक पीएम मोदी ने पटना प्रमंडल के बिक्रमगंज सारण प्रमंडल के सिवान और दरभंगा प्रमंडल के मधुबनी में कार्यक्रमों का आयोजन किया है जहां उन्होंने राज्य की विकास योजनाओं का शिलान्यास किया।
इसके बाद आने वाले एक से डेढ़ महीने में पीएम मोदी ने 3 अन्य प्रमंडलों में कार्यक्रमों का सिलसिला जारी रखने का ऐलान किया है। इनमें गया प्रमंडल के तहत गया मुंगेर प्रमंडल के बेगुसराय और कोसी प्रमंडल के क्षेत्र शामिल हैं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य बिहार के विभिन्न हिस्सों में लोगों के बीच विकास के मुद्दे को मजबूती से प्रस्तुत करना है।
अगले चरण में तीन और कार्यक्रम
इन छह सभाओं के बाद पीएम मोदी के कार्यक्रमों का दायरा और बढ़ेगा। आगामी चुनाव से पहले पीएम मोदी की पूर्णिया भागलपुर और तिरहुत प्रमंडल में तीन और सरकारी कार्यक्रम तय किए गए हैं। इन कार्यक्रमों में पीएम मोदी लाखों करोड़ों की योजनाओं का शिलान्यास करेंगे। उनका यह कदम इस उद्देश्य से उठाया गया है कि इन सरकारी कार्यक्रमों के जरिए प्रधानमंत्री बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों से जुड़े रहें और उन्हें अपनी सरकार द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों के बारे में बताएंगे।
भविष्य की रणनीति: विकास और करप्शन का मुद्दा
बीजेपी की रणनीति साफ है: इस बार बिहार चुनाव में विकास को सबसे अहम मुद्दा बनाया जाएगा। वहीं आरजेडी की करप्शन और जंगलराज की छवि को भी प्रमुखता से उठाया जाएगा। पीएम मोदी और एनडीए के नेता राज्य के लोगों को यह संदेश देने में जुटे हैं कि बिहार में बदलाव और विकास की जरूरत है और एनडीए ही इस बदलाव को लाने में सक्षम है।
एनडीए की साझा सभाओं की शुरुआत
इसके साथ ही 15 जुलाई से लेकर 15 सितंबर तक एनडीए की साझा सभाओं और रैलियों का सिलसिला शुरू होगा। इन सभाओं में बिहार के सभी विधानसभा क्षेत्रों में एनडीए के राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के नेता एकजुट होकर जनता से संपर्क करेंगे। पहले से ही एनडीए ने जिलों और ब्लॉक स्तर पर बैठकों का आयोजन शुरू कर दिया है ताकि चुनाव के दौरान हर क्षेत्र की जरूरतों और चुनौतियों के हिसाब से रणनीति बनाई जा सके।
साझा रणनीति: मुस्लिम और दलित वोटरों पर फोकस
एनडीए ने इस बार की चुनावी रणनीति को क्षेत्र विशेष के हिसाब से तैयार करने की योजना बनाई है। जहां एक ओर उग्र हिंदुत्व का मुद्दा उठाने की बजाय मुस्लिम वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश की जाएगी वहीं दूसरी ओर जेडीयू और एलजेपी की जिम्मेदारी होगी कि वे सीमांचल क्षेत्र में मुस्लिम वोटों को अपने पक्ष में करें। इसके साथ ही एनडीए ने दलित वोटरों को भी फोकस में रखा है और उन्हें यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह भी समाज के समग्र विकास में भागीदार बन सकते हैं।
लालू यादव द्वारा अंबेडकर के अपमान को लेकर एनडीए ने इसे एक बड़ा मुद्दा बनाने का निर्णय लिया है। एनडीए की नजर बिहार के करीब 19 फीसदी दलित वोटों पर है जिन्हें इस मुद्दे के जरिए अपनी ओर आकर्षित किया जा सकता है।
--Advertisement--