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Up Kiran, Digital Desk: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से ठीक पहले आए IANS-MATRIZE के एक सर्वे ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। इस सर्वे में मुख्य रूप से बिहार के महागठबंधन की संभावनाओं और कांग्रेस की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। अगर सर्वे के आंकड़े सही साबित होते हैं, तो कांग्रेस को महज 7 से 9 सीटों तक सीमित रहना पड़ सकता है, जबकि पार्टी ने 62 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं। 

इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली आरजेडी को बड़ा नुकसान हो सकता है। यदि यह स्थिति बनी रहती है तो महागठबंधन के भीतर कांग्रेस के अत्यधिक दावों पर गंभीर सवाल उठने लगेंगे। 2017 में उत्तर प्रदेश में भी कुछ ऐसा ही हुआ था, जब अखिलेश यादव ने कांग्रेस को अधिक सीटें दी थीं और पार्टी केवल 7 सीटों पर जीत पाई थी। बिहार में यदि यही स्थिति दोहराई जाती है, तो कांग्रेस की रणनीति पर फिर से उंगली उठ सकती है।

चिराग पासवान की पार्टी को मिल सकता है झटका
सर्वे में एक और दिलचस्प तथ्य सामने आया है, जो बिहार के राजनीतिक समीकरणों को नया मोड़ दे सकता है। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी), जो खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थक बताती है, को चुनाव में बड़ा झटका लग सकता है। सर्वे में यह अनुमान जताया गया है कि एलजेपी को केवल 4 से 5 सीटें मिल सकती हैं। 

चिराग की पार्टी ने एनडीए के हिस्से के रूप में 29 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन यदि सर्वे के आंकड़े सही साबित होते हैं तो पार्टी का स्ट्राइक रेट बेहद कम रहेगा। खासकर उस स्थिति में जब लोकसभा चुनाव के दौरान चिराग पासवान ने अपनी पार्टी की सीटों को लेकर बहुत बड़ा दावा किया था।

जीतनराम मांझी का बढ़ता हुआ प्रभाव
जहां एक ओर चिराग पासवान को मुश्किलें आ सकती हैं, वहीं दूसरी ओर जीतनराम मांझी की पार्टी, HAM (हाम), सर्वे के मुताबिक अच्छी प्रदर्शन कर सकती है। अगर सर्वे पर यकीन किया जाए, तो जीतनराम मांझी की पार्टी को 4 से 5 सीटें मिल सकती हैं, जिससे उनका स्ट्राइक रेट लगभग 90 प्रतिशत तक हो सकता है। यह पार्टी के लिए एक बड़ी सफलता होगी, खासकर जब यह देखा जाए कि वे पिछले चुनावों में केवल 6 सीटों पर ही जीतने में कामयाब रहे थे।

एनडीए के लिए जीत की संभावना
एनडीए के लिए यह सर्वे सकारात्मक संकेत दे रहा है। सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि एनडीए को 153 से 164 सीटों के बीच मिल सकती हैं, जिससे वह सत्ता में वापसी कर सकता है। यह आंकड़े भाजपा और जेडीयू के साथ-साथ अन्य सहयोगी दलों के लिए एक बड़ी राहत हो सकते हैं। खासकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की भूमिका को देखते हुए, एनडीए को इस बार के चुनाव में महत्वपूर्ण बढ़त मिल सकती है।