Up Kiran, Digital Desk: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मतदान खत्म होते ही एग्जिट पोल्स के नतीजे आ गए हैं और लगभग सभी सर्वे एक सुर में एनडीए की बंपर वापसी का ऐलान कर रहे हैं. ज्यादातर एग्जिट पोल्स ने 243 सीटों वाली विधानसभा में एनडीए को 130 से 160 से भी ज्यादा सीटें दी हैं, जो बहुमत के आंकड़े 122 से कहीं ज्यादा है. वहीं, आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन को 70 से 100 सीटों के बीच सिमटता दिखाया गया है.
मंगलवार शाम को दो चरणों की वोटING खत्म होने के बाद जैसे ही ये आंकड़े सामने आए, जेडीयू-बीजेपी खेमे में जश्न का माहौल शुरू हो गया. बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन और पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने इसे प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विकास कार्यों पर जनता की मुहर बताया है.
ये एग्जिट पोल नहीं, अमित शाह का पोल है तेजस्वी यादव
एक तरफ जहां एनडीए के नेता नतीजों को लेकर आश्वस्त हैं, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन के नेता और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने इन सभी एग्जिट पोल्स को सिरे से खारिज कर दिया है. तेजस्वी ने आरोप लगाया कि ये सर्वे नतीजों को प्रभावित करने और मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए किए गए हैं.
उन्होंने कहा, "जब लोग वोट डालने के लिए लाइनों में खड़े थे, तभी एग्जिट पोल के नतीजे आ गए. ये जो भी दिखा रहे हैं, वो पीएमओ और अमित शाह तय करते हैं."
तेजस्वी ने बढ़े हुए मतदान प्रतिशत का हवाला देते हुए दावा किया कि यह बदलाव के लिए वोट है और महागठबंधन की सरकार बनना तय है. उन्होंने कहा, "इसमें कोई अगर-मगर की गुंजाइश नहीं है, इस बार बदलाव होने जा रहा है." तेजस्वी ने दावा किया कि महागठबंधन कम से कम 175 सीटें जीतेगा.
क्या कहते हैं आंकड़े?
विभिन्न सर्वे एजेंसियों के आंकड़ों पर नजर डालें तो तस्वीर लगभग एक जैसी है:
दैनिक भास्कर: एनडीए को 145-160 सीटें, महागठबंधन को 73-102 सीटें.
Matrize-IANS: एनडीए को 147-167 सीटें, महागठबंधन को 70-90 सीटें.
चाणक्य स्ट्रैटेजीज: एनडीए को 130-138 सीटें, महागठबंधन को 100-108 सीटें.
पीपुल्स पल्स: एनडीए को 135-159 सीटें, महागठबंधन को 75-101 सीटें.
दिलचस्प बात यह है कि प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को इन एग्जिट पोल्स में कोई खास सफलता मिलती नहीं दिख रही है.
अब एग्जिट पोल के अनुमानों में कितनी सच्चाई है और तेजस्वी के दावों में कितना दम, इसका फैसला 14 नवंबर को वोटों की गिनती के साथ ही होगा. तब तक बिहार की राजनीति में अटकलों और दावों का बाजार गर्म रहेगा.



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