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Up Kiran, Digital Desk: आंध्र प्रदेश में छात्रों के एक प्रमुख संगठन, नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) ने निजी स्कूलों पर एक गंभीर आरोप लगाया है। एनएसयूआई का कहना है कि कई निजी स्कूल 'शिक्षा के नाम पर' अभिभावकों को खुलेआम लूट रहे हैं। यह आरोप फीस वृद्धि, किताबों और यूनिफॉर्म की मनमानी बिक्री और अन्य छिपे हुए शुल्कों से संबंधित है।

एनएसयूआई ने जोर देकर कहा कि निजी स्कूल शिक्षा को एक व्यापार बना रहे हैं, जहाँ उनका मुख्य मकसद पैसा कमाना है, न कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना। छात्रों के संगठन ने अभिभावकों को होने वाली आर्थिक परेशानियों पर प्रकाश डाला, खासकर तब जब स्कूल हर साल फीस में अनावश्यक रूप से बढ़ोतरी करते हैं और विशेष विक्रेताओं से ही किताबें व यूनिफॉर्म खरीदने का दबाव डालते हैं।

एनएसयूआई ने सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने और इन निजी स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की अपील की है। उन्होंने मांग की है कि शिक्षा के व्यवसायीकरण पर रोक लगाई जाए और एक ऐसा नियामक ढांचा तैयार किया जाए जो फीस और अन्य शुल्कों में पारदर्शिता सुनिश्चित करे।

यह मुद्दा सिर्फ आंध्र प्रदेश का नहीं, बल्कि पूरे देश में अभिभावकों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच एक अधिकार है, न कि केवल अमीरों के लिए एक विशेषाधिकार। एनएसयूआई का यह कदम निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने और शिक्षा को सभी के लिए किफायती और सुलभ बनाने की दिशा में एक प्रयास है।

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