img

Up Kiran, Digital Desk: भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और पर्यावरण को बचाने के लिए तेजी से प्राकृतिक गैस की ओर बढ़ रहा है। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी के अनुसार, भारत में प्राकृतिक गैस की खपत 2030 तक बढ़कर 103 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) प्रति वर्ष तक पहुंचने की संभावना है। यह मौजूदा खपत की तुलना में एक महत्वपूर्ण वृद्धि है और भारत की ऊर्जा रणनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत है।

क्यों बढ़ रही है प्राकृतिक गैस की मांग?

स्वच्छ ईंधन: प्राकृतिक गैस कोयले और पेट्रोलियम जैसे अन्य जीवाश्म ईंधनों की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन है। यह जलने पर कम कार्बन उत्सर्जन करता है, जिससे वायु प्रदूषण कम होता है और भारत के जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है।

औद्योगिक मांग: उद्योगों, विशेष रूप से उर्वरक, बिजली उत्पादन और पेट्रोकेमिकल्स में, प्राकृतिक गैस का उपयोग बढ़ रहा है क्योंकि यह एक कुशल और पर्यावरण के अनुकूल ईंधन है।

घरेलू और परिवहन: पाइप्ड नेचुरल गैस (PNG) का उपयोग घरों में खाना पकाने के लिए और कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (CNG) का उपयोग वाहनों में ईंधन के रूप में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। सरकार भी इस बुनियादी ढांचे के विस्तार पर जोर दे रही है।

सरकारी नीतियां: भारत सरकार प्राकृतिक गैस को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियां बना रही है, जिसमें गैस पाइपलाइन नेटवर्क का विस्तार, घरेलू उत्पादन में वृद्धि और आयात पर निर्भरता कम करना शामिल है।

ऊर्जा सुरक्षा: प्राकृतिक गैस का बढ़ता उपयोग भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा और वैश्विक ऊर्जा बाजार में अस्थिरता के प्रति उसकी संवेदनशीलता को कम करेगा।

यह अनुमान भारत की 'गैस-आधारित अर्थव्यवस्था' बनने की दिशा में एक स्पष्ट संकेत है। जैसे-जैसे देश स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ रहा है, प्राकृतिक गैस एक महत्वपूर्ण 'ब्रिज फ्यूल' के रूप में कार्य करेगी, जो नवीकरणीय ऊर्जा के साथ-साथ भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगी। यह न केवल पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करेगा, बल्कि भारत के आर्थिक विकास को भी गति देगा।

--Advertisement--