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Up Kiran, Digital Desk: शनिवार रात जब अलवर और आस-पास के इलाकों में आसमान पर काले बादल छाए और हवाओं ने रफ्तार पकड़ी, तब किसी को अंदाजा नहीं था कि ये रात इतनी डरावनी और विनाशकारी साबित होगी। राजस्थान के अलवर जिले और खैरथल तिजारा क्षेत्र में आई तेज आंधी और तूफान ने ज़िंदगियों को उजाड़ दिया, घरों को ढहा दिया और पूरी बिजली व्यवस्था को घुटनों पर ला दिया।

तूफान ने मचाई भारी तबाही: कई इलाकों में अंधेरा और खामोशी

तेज रफ्तार हवाओं ने अलवर जिले में ऐसा कहर ढाया कि करीब 100 से ज्यादा बिजली के खंभे और 35 से अधिक ट्रांसफार्मर ज़मीन पर आ गिरे। 11,000 और 33,000 केवी की हाईटेंशन लाइनें उखड़ गईं, जिससे कई गांवों और औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति पूरी तरह ठप हो गई।

खासतौर पर भिवाड़ी औद्योगिक क्षेत्र, जो कि देश की प्रमुख उत्पादन इकाइयों में शामिल है, वहां बिजली टावर के गिरने से उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है। बिजली विभाग को लाखों रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। विभाग की टीमें लगातार युद्धस्तर पर मरम्मत और आपूर्ति बहाल करने में जुटी हैं, लेकिन तकनीकी चुनौती इतनी बड़ी है कि बिजली बहाली में अभी समय लग सकता है।

पथरेड़ी गांव में दर्दनाक हादसा: मां-बेटी की मौत, पिता गंभीर रूप से घायल

भिवाड़ी के चोपानकी थाना क्षेत्र के पथरेड़ी गांव में तूफान ने एक परिवार से उसकी पूरी दुनिया छीन ली। एक कच्चे मकान की दीवार भरभराकर गिरी और उसके मलबे में दब गए सुमया (22) और उनकी एक वर्षीय बेटी तानिया। मलबे से निकाले गए तीनों लोगों को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन बेटी की मौत टपुकड़ा अस्पताल में और मां की मौत अलवर जिला अस्पताल में हो गई। घायल राहुल का इलाज जारी है।

परिजन तोफिक की आंखों में आंसू थमे नहीं हैं। उन्होंने बताया, "दीवार बिना लिंटर के थी... जब तेज हवाएं आईं, तो वो गिर गई... हम सब मलबे में दब गए... हम कुछ नहीं कर सके..."

गांव में इस घटना के बाद मातम पसरा हुआ है। पड़ोसियों का कहना है कि सुमया और राहुल की शादी को दो साल भी पूरे नहीं हुए थे। तानिया तो अभी चलना भी ठीक से नहीं सीख पाई थी।

कच्चे मकान, बड़ी मुश्किल

राजस्थान के कई गांवों में आज भी परिवार कच्चे और कमजोर घरों में रहते हैं। ये घर तेज हवाओं और भारी बारिश में सबसे पहले टूटते हैं। जानकार मानते हैं कि सरकार को इन परिवारों के लिए पक्के मकान की योजना को और तेज़ी से लागू करना चाहिए।

पथरेड़ी की घटना सिर्फ एक उदाहरण नहीं है, बल्कि पूरे इलाके में ऐसे दर्जनों कच्चे मकान हैं, जिनके गिरने का खतरा बना हुआ है।

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