
Naxalite surrender: छत्तीसगढ़ के बीजापुर और दंतेवाड़ा जिलों में पिछले दो दिनों में जो घटनाएं घटी हैं, उन्होंने पूरे राज्य के सुरक्षा परिदृश्य में एक नया मोड़ ला दिया है। मंगलवार को बीजापुर में कम से कम 22 नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया, जिनमें से चार पर कुल 26 लाख रुपये का इनाम था। ये घटनाक्रम तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब हम जानते हैं कि इससे ठीक एक दिन पहले, पड़ोसी दंतेवाड़ा जिले में भी 26 नक्सलियों ने हथियार डाल दिए थे।
इस सरेंडर की खास बात ये है कि दंतेवाड़ा में सरेंडर करने वालों में छह महिलाएं भी शामिल थीं, जिन्होंने खुलकर माओवादी विचारधारा को खोखली और अमानवीय बताया। उनका यह कहना कि संगठन के भीतर बढ़ते आंतरिक मतभेद और विचारधारा से मोहभंग उनके फैसले के पीछे मुख्य कारण रहे, यह साफ दर्शाता है कि माओवादियों के बीच दरारें गहरी होती जा रही हैं।
इस वजह से कर रहे हैं सरेंडर
बीजापुर के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र कुमार यादव ने सरेंडर के पीछे की बड़ी वजह 'नियाद नेल्लनार' (आपका अच्छा गांव) योजना को बताया। राज्य सरकार की इस पहल का मकसद सुरक्षा शिविरों के आस-पास के दूरदराज गांवों में विकास लाना है। यही नहीं, इन गांवों में अब मूलभूत सुविधाएं पहुंच रही हैं, सड़कें बन रही हैं, स्कूल और अस्पताल खुल रहे हैं और यही बदलाव नक्सल प्रभावित युवाओं को मुख्यधारा की ओर खींच रहे हैं।
कौन-कौन थे सरेंडर करने वाले
सरेंडर करने वालों में माओवादियों की पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की बटालियन नंबर 1 के सदस्य कमली हेमला (32) और तेलंगाना राज्य समिति की एक कंपनी के सदस्य मुया माडवी (19) शामिल हैं, जिन दोनों पर 8-8 लाख रुपये का इनाम था। इसके अलावा, सोनू ताती (28)—पश्चिम बस्तर डिवीजन की प्रेस टीम का कमांडर और महेश पुनेम-भैरमगढ़ क्षेत्र समिति के PLGA सदस्य, दोनों पर 5-5 लाख रुपये का इनाम घोषित था।