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Up Kiran, Digital Desk: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पूरी दुनिया ने भारत की सैन्य शक्ति को करीब से देखा, खासकर इसकी हवाई ताकत जैसे राफेल, सुखोई-30 एमकेआई और ब्रह्मोस मिसाइलों ने पाकिस्तान को महज तीन दिन में झुकने पर मजबूर कर दिया। लेकिन आज बात इन हथियारों की नहीं, बल्कि एक देसी तोप की है एटीएजीएस (ATAGS) की, जिसे भारत ने खुद विकसित किया है। ये 155 मिमी/52 कैलिबर की उन्नत हॉवित्जर तोप है, जिसे डीआरडीओ, भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स मिलकर बना रहे हैं।

ATAGS को ‘बोफोर्स का बाप’ कहा जा रहा है, जो करगिल युद्ध में निर्णायक साबित हुई थी। इसकी खासियत है लंबी रेंज, सटीक वार और तेज़ मूवमेंट। इसकी फायरिंग रेंज 48 किमी है, जिससे यह अमृतसर से लाहौर जैसे शहर को भी निशाना बना सकती है। भविष्य में इसकी रेंज 80–90 किमी तक पहुंचाने के लिए GPS-गाइडेड और रैमजेट तकनीक पर काम चल रहा है।

ये तोप सिर्फ 80 सेकंड में तैनात हो सकती है और 85 सेकंड में अपनी पोजिशन बदल सकती है। यह 2.5 मिनट में 10 या 1 मिनट में 5 गोलों की बौछार कर सकती है। इसकी 85% तकनीक स्वदेशी है और एक यूनिट की कीमत करीब 15 करोड़ रुपये है, जो विदेशी विकल्पों की तुलना में काफी सस्ती है। सरकार ने 6900 करोड़ रुपये की लागत से 307 तोपों की खरीद को मंज़ूरी दी है, जिनमें पहली खेप 2027 तक सेना को सौंपी जाएगी।

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