img

Up Kiran, Digital Desk: भारत में रोजगार के परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहा है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 (FY25) में देश की फ्लेक्सी-स्टाफिंग इंडस्ट्री में 9.7% की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की गई है। इस शानदार ग्रोथ ने भारतीय श्रम बाजार में एक नई उम्मीद जगाई है, क्योंकि इस अवधि में इस क्षेत्र ने 1.39 लाख नए रोजगार के अवसर पैदा किए हैं।

 भारतीय कंपनियां अब अपनी वर्कफोर्स रणनीतियों में अधिक लचीलापन अपना रही हैं। पारंपरिक पूर्णकालिक नौकरियों के बजाय, वे प्रोजेक्ट-आधारित या अस्थायी कर्मचारियों को काम पर रखने को प्राथमिकता दे रही हैं, जिससे कंपनियों को परिचालन लागत कम करने और बाजार की बदलती जरूरतों के अनुसार अपनी टीम को अनुकूलित करने में मदद मिलती है।

क्या है फ्लेक्सी-स्टाफिंग? फ्लेक्सी-स्टाफिंग का मतलब है कि कंपनियां सीधे कर्मचारियों को नियुक्त करने के बजाय स्टाफिंग एजेंसियों के माध्यम से उन्हें अस्थायी या ठेके पर रखती हैं। ये कर्मचारी एजेंसी के पेरोल पर होते हैं और उन्हें विभिन्न कंपनियों या प्रोजेक्ट्स में काम करने के लिए भेजा जाता है।

इस ग्रोथ के पीछे के कारण:

बाजार का लचीलापन: उद्योगों को बदलते बाजार की मांग और आर्थिक अनिश्चितताओं के अनुकूल होने की जरूरत है। फ्लेक्सी-स्टाफिंग उन्हें ऐसा करने का मौका देती है।

लागत प्रभावी: यह कंपनियों के लिए स्थायी कर्मचारियों की तुलना में अधिक लागत प्रभावी हो सकता है, क्योंकि इसमें सामाजिक सुरक्षा लाभ और अन्य खर्चे कम होते हैं।

विशेषज्ञता तक पहुंच: कंपनियां विशेष परियोजनाओं के लिए विशिष्ट कौशल वाले कर्मचारियों को आसानी से नियुक्त कर सकती हैं।

टियर-2 और टियर-3 शहरों में विस्तार: यह ट्रेंड केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी फैल रहा है, जिससे उन क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं।

यह वृद्धि भारत के श्रम बाजार में एक सकारात्मक संकेत है, जो यह दर्शाता है कि कंपनियां और कर्मचारी दोनों ही अधिक लचीले और अनुकूलनीय कार्य मॉडल को अपना रहे हैं। 

--Advertisement--