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Up Kiran , Digital Desk: उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने प्रदेश के किसानों के हितों और पर्वतीय भूमि की रक्षा के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। नए भूमि कानून के तहत अब बाहरी राज्यों के लोग उत्तराखंड के 11 पर्वतीय जिलों में कृषि भूमि नहीं खरीद सकेंगे। यह कदम न केवल भूमि पर बढ़ते बाहरी अतिक्रमण को रोकने के लिए है बल्कि स्थानीय किसानों के अधिकारों की सुरक्षा और पारंपरिक खेती की विरासत को बचाने की दिशा में भी एक सशक्त प्रयास है।

भूमि कानून में हुआ अहम बदलाव

उत्तराखंड के राजस्व विभाग ने भूमि कानून में संशोधन की अधिसूचना जारी कर दी है। इसके अनुसार बाहरी राज्य के लोग अब पर्वतीय जिलों में कृषि भूमि नहीं खरीद सकेंगे। गैर-कृषि कार्यों के लिए कृषि भूमि की खरीद पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। यदि किसी बाहरी व्यक्ति को भूमि खरीदनी है तो उसे सरकार से पूर्व अनुमति लेनी होगी। इस कानून का मूल उद्देश्य है स्थानीय किसानों की भूमि को सुरक्षित करना और पर्वतीय क्षेत्रों में बाहरी निवेश से होने वाले असंतुलन को रोकना।

स्वीकृति और आपत्ति प्रक्रियाएं अब ऑनलाइन

सरकार ने भूमि से जुड़ी सभी प्रक्रियाओं को डिजिटल और पारदर्शी बनाने के लिए एक भूमि कानून पोर्टल विकसित करने का निर्णय लिया है। इस पोर्टल पर सभी लेनदेन स्वीकृति और आपत्ति प्रक्रियाएं ऑनलाइन होंगी। भूमि खरीद का पूरा ब्योरा डिजिटल रूप से दर्ज होगा। फर्जीवाड़ों और भूमाफियाओं की गतिविधियों पर नकेल कसी जा सकेगी। यह पोर्टल न केवल आम जनता को जानकारी देने में सहायक होगा बल्कि प्रशासनिक प्रक्रिया को भी अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाएगा।

स्थानीय किसानों को कैसे मिलेगा लाभ

नए कानून से स्थानीय किसानों को सीधा लाभ होगा। अब बाहरी निवेशकों द्वारा सस्ती दरों पर ज़मीन खरीदने की घटनाएं थमेंगी। किसानों का अपनी ज़मीन पर अधिकार सुरक्षित रहेगा। गांवों में स्थानीय खेती और जैविक कृषि को बढ़ावा मिलेगा। इस निर्णय से उत्तराखंड की पारंपरिक कृषि प्रणाली को संरक्षित किया जा सकेगा जो राज्य की सांस्कृतिक पहचान और आजीविका का एक अहम हिस्सा है।

 

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