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Up Kiran , Digital Desk: उत्तराखंड सरकार ने राज्य प्रशासनिक सेवा में अहम बदलाव करते हुए तीन तहसीलदारों को डिप्टी कलेक्टर के पद पर पदोन्नति दी है। इसके साथ ही कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के तबादला आदेशों में फेरबदल किया गया है जबकि PCS अधिकारी हिमांशु कफल्टिया का स्थानांतरण रोक दिया गया है।

तीन तहसीलदारों की पदोन्नति: न्यायिक आदेश के अधीन

21 अप्रैल को राज्य लोक सेवा आयोग (UKPSC) की ओर से हुई विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की बैठक में सोहन सिंह प्रियंका रानी और ललित मोहन तिवारी को डिप्टी कलेक्टर के पद पर पदोन्नत किया गया है। हालांकि यह पदोन्नति हाईकोर्ट के निर्णय (प्रियंका रानी बनाम उत्तराखंड राज्य) के अधीन की गई है। इसका मतलब यह है कि यदि कोर्ट कोई अलग फैसला सुनाता है तो इस पदोन्नति की वैधता प्रभावित हो सकती है।

हिमांशु कफल्टिया की जिम्मेदारी यथावत

17 मार्च के एक तबादला आदेश को निरस्त करते हुए PCS हिमांशु कफल्टिया को उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव पद पर बरकरार रखा गया है। इससे पहले उनका तबादला प्रस्तावित था लेकिन सरकार ने समीक्षा के बाद उन्हें पद से हटाने का निर्णय वापस ले लिया।

अपर सचिवों में फेरबदल: नई जिम्मेदारियां

कुछ वरिष्ठ अफसरों के तबादला आदेशों में भी बदलाव किए गए हैं। श्रीश कुमार की बाध्य प्रतीक्षा समाप्त कर उन्हें सचिव सेवा का अधिकार आयोग की जिम्मेदारी दी गई है। झरना कमठान से वित्त विभाग हटाकर उन्हें अपर सचिव ग्राम्य विकास और परियोजना निदेशक यूजीवीएस-रीप बनाया गया है। PCS मोहम्मद नासिर को प्रशासनिक अकादमी से हटाकर पुनर्गठन विभाग में अपर सचिव की जिम्मेदारी दी गई है।

प्रशासनिक फेरबदल क्या मायने रखते हैं

प्रशासनिक तबादले और पदोन्नतियां केवल नाम या पद बदलने की प्रक्रिया नहीं हैं। ये राज्य की नीतियों विकास योजनाओं और जनता तक सेवाओं की पहुंच को सीधे प्रभावित करते हैं। खासकर जब बात तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर की हो तो इसका मतलब है कि अधिकारी अब अधिक ज़िम्मेदारियों और अधिकारों के साथ जिले के प्रशासनिक ढांचे में भागीदार बनते हैं।

 

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