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जेनसोल इंजीनियरिंग से जुड़े वित्तीय और कॉरपोरेट गड़बड़ियों के मामले में अब भारत सरकार ने हस्तक्षेप का संकेत दिया है। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) ने सोमवार को स्पष्ट किया कि वह इस पूरे प्रकरण में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के आदेश की समीक्षा कर रहा है और जरूरत पड़ने पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

सेबी ने लगाए गंभीर आरोप

SEBI ने पिछले सप्ताह जेनसोल इंजीनियरिंग के प्रमोटर अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी पर कई तरह के उल्लंघनों का आरोप लगाते हुए उन्हें सिक्योरिटी मार्केट से प्रतिबंधित कर दिया था। आरोपों के अनुसार, इन दोनों ने कंपनी से लिए गए लोन अमाउंट का निजी उपयोग किया, जिससे कॉरपोरेट प्रशासन और वित्तीय पारदर्शिता को लेकर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।

सरकारी जांच एजेंसियां ले सकती हैं बड़ा एक्शन

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि वे कंपनी अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के तहत सेबी के आदेश का मूल्यांकन कर रहे हैं। इस मूल्यांकन के बाद मंत्रालय उचित कार्रवाई करेगा। यदि आवश्यक हुआ, तो कंपनी रजिस्ट्रार (ROC) द्वारा कंपनी के खातों की गहन जांच की जा सकती है। साथ ही अगर वित्तीय धोखाधड़ी की बात सामने आती है, तो मामला गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) को सौंपा जा सकता है।

शेयर बाजार में कंपनी को झेलनी पड़ी जबरदस्त मार

कंपनी की वित्तीय गड़बड़ियों की खबरों के सार्वजनिक होने के बाद जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयरों में भारी गिरावट देखी जा रही है। सप्ताह के पहले कारोबारी दिन सोमवार को कंपनी के शेयर 4.98 प्रतिशत की गिरावट के साथ 111.65 रुपये पर बंद हुए। यह कंपनी का नया 52 हफ्तों का न्यूनतम स्तर है, जबकि इसका उच्चतम स्तर 1125.75 रुपये रहा है। यानी कंपनी के शेयरों ने एक साल में 90 प्रतिशत से अधिक की गिरावट झेली है।

निवेशकों को भारी नुकसान

कंपनी के प्रमोटर्स द्वारा की गई अनियमितताओं की कीमत अब आम निवेशकों को चुकानी पड़ रही है। शेयरधारकों को भारी नुकसान हुआ है और उनका भरोसा कंपनी पर से लगभग खत्म हो गया है। एक समय पर जिस कंपनी के शेयर तेजी से ऊपर जा रहे थे, आज वो निवेशकों की चिंता का विषय बन गए हैं।

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