Up Kiran, Digital Desk: पटना से आई ताजा खबर ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। एनडीए ने विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल की और सरकार तो बना ली लेकिन इस बार सीटों का आंकड़ा कुछ अलग कहानी बयान कर रहा है। बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। उसे 89 सीटें मिलीं जबकि नीतीश कुमार की जेडीयू को 85 सीटें ही हाथ लगीं। फिर भी मुख्यमंत्री की कुर्सी नीतीश कुमार के पास ही रही। मगर असली चौंकाने वाली बात मंत्रालयों के बंटवारे में सामने आई।
बीजेपी ने वह मंत्रालय अपने पास ले लिया जिस पर पिछले दो दशक से नीतीश कुमार का एकछत्र राज चलता था। जी हां हम बात कर रहे हैं गृह मंत्रालय की। अब यह महत्वपूर्ण पद पर बीजेपी नेता सम्राट चौधरी विराजमान हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर गृह मंत्रालय इतना खास क्यों माना जाता है और इसके जाते ही नीतीश कुमार की ताकत में कितनी कमी आएगी?
गृह मंत्रालय यानी आधी सरकार
बिहार जैसे विशाल और जटिल राज्य में गृह मंत्रालय को हमेशा सबसे शक्तिशाली विभाग माना जाता रहा है। कारण साफ है। पूरा पुलिस तंत्र इसी मंत्रालय के अधीन काम करता है। डिपार्टमेंट से लेकर जेल प्रशासन तक सब कुछ यहीं से नियंत्रित होता है। राजनीतिक गलियारों में इसे “पावर शिफ्ट” कहा जा रहा है क्योंकि अब मुख्यमंत्री की आधी ताकत बीजेपी के हाथ में चली गई है।
सम्राट चौधरी के हाथ में अब क्या-क्या होगा?
- पूरे राज्य की पुलिस फोर्स पर सीधा नियंत्रण
- डीजीपी से लेकर एसपी और डीएसपी स्तर तक के अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का पूरा अधिकार
- बड़े दंगों हिंसा या हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारियों में तुरंत दखल देने की ताकत
- हर नेता और अफसर को मिलने वाली सुरक्षा का फैसला
- राज्य का पूरा खुफिया तंत्र (इंटेलिजेंस ब्यूरो) भी इन्हीं को रिपोर्ट करेगा
- जेलों का पूरा प्रशासन और कैदियों से जुड़े बड़े फैसले
संक्षेप में कानून-व्यवस्था का पूरा ढांचा अब सम्राट चौधरी के इशारे पर चलेगा।
नीतीश के पास अब भी बहुत कुछ है लेकिन...
मुख्यमंत्री की कुर्सी नीतीश कुमार के पास है तो बड़े नीतिगत फैसले और प्रशासनिक नियंत्रण अभी भी उनके हाथ में हैं। सभी जिलों के डीएम और दूसरे बड़े अफसर सीधे उनको जवाबदेह होंगे। विकास योजनाओं की फाइलें वही साइन करेंगे और बजट का बंटवारा भी उसी के दफ्तर से तय होगा।
लेकिन जिस “सुशासन” की ब्रांडिंग नीतीश ने पिछले बीस साल में की उसकी असली ताकत पुलिस व्यवस्था पर मजबूत पकड़ थी। अपराधियों पर नकेल कसने से लेकर दंगों को दबाने तक हर मौके पर नीतीश खुद आगे आते थे और पुलिस को सीधे निर्देश देते थे। वह हथियार अब उनके हाथ से निकल चुका है।




