धर्म एवं ज्योतिष डेस्क। कभी कभी व्यक्ति के जीवन में लगातार एक समस्या के बाद दूसरी समस्या आ जाती है। व्यक्ति को परिश्रम के बाद भी हानि होती है। परिवार को बीमारी आदि का प्रकोप बना रहता है। अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो आपको अपनी ग्रह दशा के साथ-साथ वास्तु की दिशाओं का भी ध्यान रखना चाहिए। घर में मंगल के लिए सबसे पहले घर की उत्तर-पूर्व दिशा अर्थात ईशान कोण का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
ज्योतिषियों एवं वास्तुशास्त्र के जानकारों के अनुसार ईशान कोण कभी भी कटा हुआ नहीं होना चाहिए। इस हिस्से के कटे होने से घर में तरह तरह की समस्याएं आती हैं। इस कोण के कटने से घर में अंतर्कलह, वंशवृद्धि में रुकावट, घर के सदस्यों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती है। ईशान कोण का बढ़ना शुभ माना जाता है, कटना नहीं। मंदिर के रूप में ईशान कोण का प्रयोग उत्तम होता है। ईशान कोण से ही भवन में ऊर्जा शक्ति का संचार होता है।
ईश्वर आराधना, अध्यात्म एवं योग के लिए उत्तम दिशा ईशान कोण होता है। इस दिशा में खड़े होकर सूर्य को जल चढ़ानाशुभ होता है। ईशान कोण को सबसे पहले सूर्य की रोशनी प्राप्त होती है, जिसके कारण घर में रोगों का शमन होता है। ईशान दिशा हमें बुद्धि, ज्ञान, विवेक, धैर्य और साहस प्रदान करने के साथ ही सभी तरह के कष्टों से मुक्त रखती है। इसी स्थान पर घर की सकारात्मक ऊर्जा रहती है।
शास्त्रों के अनुसार घर का स्वर्ग ईशान कोण में होता है, इसलिए सभी प्रकार के शुभ कार्य इसी दिशा में करने चाहिए। ईशान में भूलकर भी जूते, चप्पल या कोई अपवित्र वस्तु न रखें। शुभ के लिए इस दिशा में नंगे पांव चलना चाहिए। ईशान कोण में शौचालय एवं छत पर टंकी नहीं बनाना चाहिए। ईशान कोण में जल की व्यवस्था भूमिगत होनी चाहिए।
अगर आप के घर का ईशान कोण कटा है तो कटी हुई दीवार पर कटाव से बढ़े साइज का शीशा लगायें। इसके अलावा ईशान कोण में बृहस्पति यंत्र तथा बृहस्पति भगवान का चित्र लगाना भी शिभ होगा। ईशान कोण में तांबे के लोटे में पानी भरकर रखें। बृहस्पतिवार को गरीबों को बेसन के लड्डू और पक्षियों को दाना खिलाएं।
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