Up Kiran, Digital Desk: बलूचिस्तान, पाकिस्तान का वह हिस्सा जो अपनी अकूत प्राकृतिक संपदा के लिए तो जाना जाता है, लेकिन उससे भी कहीं ज़्यादा वहां के लोगों पर हो रहे कथित अत्याचार और मानवाधिकारों के हनन के लिए चर्चा में रहता है. यह दर्द और संघर्ष की आवाज अब पाकिस्तान की सीमाओं को लांघकर ब्रिटेन की संसद तक पहुंच गई है.
एक प्रभावशाली ब्रिटिश सांसद ने अपनी सरकार और पूरी दुनिया से अपील की है कि वे बलूचिस्तान के लोगों के साथ खड़े हों और वहां पाकिस्तानी सुरक्षा बलों द्वारा किए जा रहे मानवाधिकारों के गंभीर हनन को समाप्त करने के लिए दबाव डालें.
क्या हैं बलूचिस्तान के मुख्य आरोप?
सांसद ने अपने भाषण में उन गंभीर मुद्दों पर प्रकाश डाला, जिनका सामना बलूच लोग दशकों से कर रहे हैं. उन्होंने कहा:
जबरन गुमशुदगी (Enforced Disappearances): हजारों बलूच एक्टिविस्टों, छात्रों और आम नागरिकों को सुरक्षा बलों द्वारा बिना किसी आरोप के कथित तौर पर उठा लिया जाता है. कई सालों तक उनके परिवार वालों को पता नहीं चलता कि वे जिंदा हैं भी या नहीं.
न्यायेतर हत्याएं: कई बार इन लापता लोगों के क्षत-विक्षत शव सुनसान इलाकों में मिलते हैं. मानवाधिकार संगठन इसे "न्यायेतर हत्या" (extra-judicial killings) कहते हैं.
शोषण और दमन: बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन वहां के स्थानीय लोगों को इसका कोई फायदा नहीं मिल रहा. अपने अधिकारों की मांग करने वालों की आवाज को क्रूरता से दबा दिया जाता है.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील
ब्रिटिश सांसद ने जोर देकर कहा कि अब दुनिया इस मुद्दे पर अपनी आंखें बंद नहीं कर सकती. उन्होंने अपनी सरकार से मांग की कि वह पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों का इस्तेमाल करके इन अत्याचारों को रोकने के लिए कहे. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक देश का आंतरिक मामला नहीं है, बल्कि यह पूरी मानवता का सवाल है.
जब दुनिया के एक बड़े लोकतांत्रिक देश की संसद में बलूचिस्तान का मुद्दा उठता है, तो यह वहां के संघर्ष कर रहे लोगों के लिए उम्मीद की एक किरण लेकर आता है. उन्हें लगता है कि शायद अब दुनिया उनकी पीड़ा को सुनेगी और समझेगी.
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