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Up Kiran, Digital Desk: आजकल यात्रा का तरीका काफी बदल गया है। अब लोग सिर्फ खूबसूरत जगहों को देखने या ऐतिहासिक इमारतों में घूमने तक ही सीमित नहीं रहना चाहते, बल्कि वे उस जगह की संस्कृति, परंपराओं और असल जीवनशैली को करीब से जीना और महसूस करना चाहते हैं। इस बदलते रुझान में, क्षेत्रीय व्यंजनों ने एक अनूठी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो भारत में पर्यटन को एक नया आयाम दे रहे हैं।

कभी-कभी हम सिर्फ खाने के लिए ही नई जगहों पर चले जाते हैं, और यही 'फूड टूरिज्म' या 'भोजन आधारित पर्यटन' का बढ़ता महत्व है। यह सिर्फ पेट भरने की बात नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक जुड़ाव का अनुभव है। स्थानीय पकवान न केवल उस जगह का स्वाद बताते हैं, बल्कि वे उसकी मिट्टी, लोगों की कहानियों और सदियों पुरानी परंपराओं को भी बयान करते हैं।

यात्रा का नया स्वाद: अनुभव का महत्व पहले के समय में, पर्यटक अक्सर लोकप्रिय स्थलों पर जाते थे, लेकिन अब वे किसी छिपे हुए गाँव में स्थानीय भोजन का स्वाद चखने या किसी ग्रामीण उत्सव में हिस्सा लेने को ज्यादा महत्व देते हैं। क्षेत्रीय व्यंजनों ने पर्यटकों के लिए यात्रा को अधिक समृद्ध और व्यक्तिगत बना दिया है। खाने के शौकीनों के लिए तो यह एक नया आकर्षण है ही, साथ ही यह आम पर्यटकों को भी ऐसी यादें देता है जो वे किसी बड़े होटल या गाइडबुक से नहीं पा सकते।

पाक कला कार्यशालाओं में हाथ आजमाना, स्थानीय 'फूड ट्रेल्स' पर चलना, या किसी होमस्टे में घर जैसा खाना खाना - ये सभी अनुभव यात्रियों को उस जगह के लोगों और उनकी जीवनशैली से सीधे जोड़ते हैं। जब आप किसी स्थानीय शेफ से उस व्यंजन के इतिहास के बारे में सुनते हैं, या किसी किसान के खेत से ताज़ी सब्जियां चुनते हैं, तो यात्रा सिर्फ एक छुट्टी नहीं, बल्कि एक गहरी सीख और जुड़ाव बन जाती है।

स्थानीय अर्थव्यवस्था और छिपी हुई पहचान यह चलन सिर्फ पर्यटकों के लिए ही फायदेमंद नहीं है, बल्कि इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है। जब यात्री सीधे स्थानीय रेस्तरां, ढाबों, कारीगरों और किसानों से सामान खरीदते हैं, तो इससे उनकी आय बढ़ती है और उनके जीवन स्तर में सुधार होता है। यह कम ज्ञात पर्यटन स्थलों को भी पहचान दिलाता है, जहां की खाद्य संस्कृति समृद्ध लेकिन अब तक अनछुई थी। ऐसे स्थल अब अपनी अनूठी पाक विरासत के कारण दुनिया भर के यात्रियों को आकर्षित कर रहे हैं।

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