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Up Kiran, Digital Desk: देश में हाई-ग्रेड यानी स्पेशलिटी स्टील के उत्पादन को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने के अपने लक्ष्य को लेकर केंद्र सरकार एक और बड़ा कदम उठाने जा रही है। सरकार जल्द ही स्पेशलिटी स्टील के लिए प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम के तीसरे दौर को लॉन्च करने की तैयारी में है। यह कदम इस योजना के पहले दो दौर को मिली उत्साहजनक प्रतिक्रिया के बाद उठाया जा रहा है।

इस स्कीम का मुख्य उद्देश्य उन स्टील उत्पादों के घरेलू निर्माण को प्रोत्साहित करना है जो अभी तक काफ़ी हद तक विदेशों से आयात किए जाते हैं।

क्या है स्पेशलिटी स्टील और क्यों है यह इतना ख़ास?

स्पेशलिटी स्टील सामान्य स्टील से अलग और ज़्यादा मज़बूत होता है। इसमें ख़ास तरह के गुण लाने के लिए अलग-अलग धातुओं को मिलाया जाता है, जिससे यह जंग-रोधी (corrosion-resistant), ज़्यादा तापमान सहने वाला और अत्यधिक मज़बूत बन जाता है। इसका इस्तेमाल डिफेंस, एयरोस्पेस, ऑटोमोबाइल, और कैपिटल गुड्स जैसे महत्वपूर्ण सेक्टरों में होता है।

अभी तक भारत इन ख़ास तरह के स्टील के लिए काफ़ी हद तक चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों पर निर्भर रहा है, जिससे देश का काफ़ी पैसा बाहर जाता है।

क्यों ज़रूरत पड़ी तीसरे राउंड की?

सरकार ने इस स्कीम के लिए ₹6,322 करोड़ का बजट रखा है। पहले दो दौर में सरकार ने कई कंपनियों के साथ समझौते किए हैं, जिससे देश में लगभग 26 मिलियन टन स्पेशलिटी स्टील के उत्पादन की क्षमता बढ़ने और क़रीब ₹30,000 करोड़ का निवेश आने की उम्मीद है।

हालांकि, पहले दो राउंड में कुछ ख़ास ग्रेड के स्टील, जैसे स्टील वायर, पाइप और ट्यूब के लिए इंडस्ट्री से ज़्यादा रुचि नहीं देखी गई। सरकार अब तीसरे दौर में इन्हीं बचे हुए ग्रेड्स पर फ़ोकस करना चाहती है ताकि देश हर तरह के स्पेशलिटी स्टील के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर बन सके।

इस्पात मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, हम तीसरे दौर की तैयारी कर रहे हैं। इस पर उद्योग जगत और मंत्रालयों के बीच विचार-विमर्श जारी है।

क्या होगा इस स्कीम का असर?

सरकार का यह कदम स्टील सेक्टर के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है और 'मेक इन इंडिया' अभियान को एक नई और मज़बूत दिशा देगा।