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Up Kiran, Digital Desk: इलाहाबाद विश्वविद्यालय, जो भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रमुख संस्थान है, शैक्षणिक सत्र 2025-26 से कई महत्वपूर्ण बदलाव करने जा रहा है। ये बदलाव प्रवेश प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और छात्रों के लिए अवसरों को सरल करने के उद्देश्य से हैं। साथ ही, विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के अनुरूप अपने अकादमिक ढांचे को भी मजबूत कर रहा है। आइए विस्तार से जानते हैं इन परिवर्तनों के बारे में।

यूजीसी नेट के आधार पर प्रवेश प्रक्रिया

शैक्षणिक सत्र 2025-26 से इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश के लिए अब संयुक्त शोध प्रवेश परीक्षा का आयोजन नहीं किया जाएगा। इसके बजाय, विश्वविद्यालय यूजीसी नेट (UGC-NET) के स्कोर को मुख्य मानदंड बनाएगा। यह बदलाव न केवल प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाएगा, बल्कि देशभर के छात्रों के लिए अवसरों को भी आसान करेगा।

यूजीसी नेट स्कोर के लाभ

यूजीसी नेट परीक्षा के जरिए छात्रों की विषय ज्ञान और शोध योग्यता का मूल्यांकन होता है, जिससे पीएचडी प्रवेश में गुणवत्ता सुनिश्चित होती है। इस बदलाव से छात्रों को बार-बार अलग-अलग प्रवेश परीक्षाओं की चिंता से मुक्ति मिलेगी और वे आसानी से अपनी योग्यता के आधार पर आवेदन कर सकेंगे।

अकादमिक परिषद और विद्वत परिषद की स्वीकृति

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत, इलाहाबाद विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद ने बीए, बीएससी और बीकॉम के चार वर्षीय स्नातक डिग्री कार्यक्रम को मंजूरी दी है। इस प्रस्ताव को हाल ही में विद्वत परिषद ने भी पास किया है, जो इसकी विश्वसनीयता और क्रियान्वयन को सुनिश्चित करता है।

चार वर्ष के कार्यक्रम की खासियत

चार वर्षों के इस विस्तारित स्नातक कार्यक्रम से छात्र गहराई से विषयों का अध्ययन कर सकेंगे और साथ ही विभिन्न कौशल सीखने के अवसर भी प्राप्त करेंगे। यह वैश्विक शिक्षा मानकों के अनुरूप है और छात्रों की नौकरी योग्यता तथा शोध क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगा।

60 दिन के दो क्रेडिट वाले कोर्स

प्रोफेसर जया कपूर, विश्वविद्यालय के पीआरओ, ने बताया कि एनईपी के तहत स्नातक छात्रों के लिए 192 कौशल-आधारित कोर्स शुरू किए गए हैं। ये कोर्स 60 दिन के होते हैं और प्रत्येक कोर्स के लिए दो क्रेडिट दिए जाते हैं।

छात्रों की सकारात्मक प्रतिक्रिया

इन कोर्सों को लेकर छात्रों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। ये कौशल-आधारित कोर्स उन्हें न केवल अकादमिक ज्ञान प्रदान करते हैं, बल्कि व्यावहारिक और रोजगारपरक क्षमताओं को भी मजबूत करते हैं। इससे छात्रों की समग्र शिक्षा में सुधार होगा और वे बेहतर करियर के लिए तैयार होंगे।

 

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