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Up Kiran, Digital Desk: अगर आप खेती के तौर-तरीकों को नहीं बदलेंगे, तो लागत बढ़ती जाएगी और मुनाफा कम होता जाएगा." यह बात पश्चिम गोदावरी जिले की कलेक्टर सी. नागारानी ने भीमावरम मंडल के यनमादुरु गांव में किसानों से कही. वह कृषि विभाग द्वारा आयोजित 'पोलम पिलुस्तोंदी' (खेत बुला रहा है) कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुई थीं. इस कार्यक्रम का मकसद किसानों को फसल पंजीकरण, केमिकल खाद के नुकसान और उनके लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक करना था.

कम खाद, ज्यादा फायदा: कलेक्टर ने किसानों को सलाह दी कि वे रासायनिक खादों और कीटनाशकों का इस्तेमाल कम से कम करें और जैविक खेती के साथ-साथ आधुनिक तरीकों को अपनाएं. उन्होंने एक किसान भोगी रेड्डी कृष्णमूर्ति के खेत में जाकर ई-फसल पंजीकरण का निरीक्षण भी किया और उनसे पूछा कि वे कितने एकड़ में कौन सी फसल लगा रहे हैं और प्रति एकड़ कितना यूरिया इस्तेमाल कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, "सौभाग्य से हमारे जिले में खाद की कोई कमी नहीं है, लेकिन हमें इसका इस्तेमाल समझदारी से करना होगा." कलेक्टर ने यूरिया के विकल्प के रूप में नैनो यूरिया लिक्विड का उपयोग करने का सुझाव दिया.

खाद कम करने पर केंद्र से मिले 350 करोड़

कलेक्टर ने बताया कि पिछले साल राज्य में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम करने के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को 350 करोड़ रुपये दिए थे. इस पैसे का इस्तेमाल किसानों के फायदे के लिए पावर टिलर, ड्रोन और अन्य मशीनरी खरीदने में किया गया.

उन्होंने केंद्र सरकार की नई योजना 'पीएम प्रणाम' का भी जिक्र किया, जिसका उद्देश्य राज्यों को रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम करने के लिए प्रोत्साहित करना है. इस योजना से जो भी सब्सिडी बचेगी, उसका 50% हिस्सा राज्य को वापस मिल जाएगा, जिससे किसानों के लिए और भी सुविधाएं जुटाई जा सकेंगी. कलेक्टर ने किसानों से यह भी आग्रह किया कि वे धान की उन्हीं किस्मों की खेती करें, जिनकी स्थानीय स्तर पर खपत हो.