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Up Kiran, Digital Desk: बहुत से लोग नोस्त्रेदामस, बाबा वेंगा या संद अच्युतानंद दास जैसे भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणियों को पढ़ते या सुनते रहे हैं। इनमें से कुछ भविष्यवाणियाँ भारी विनाश की ओर इशारा करती हैं जैसे जबरदस्त उल्कापिंड का गिरना या तीसरे विश्वयुद्ध की चेतावनी। पर इनमें से कुछ भविष्यवाणियाँ भारत के लिए विशेष रूप से सकारात्मक दृष्टिकोण पेश करती हैं, जो देश की नई पहचान को दर्शाती हैं।

वैज्ञानिक और आध्यात्मिक नेतृत्व की ओर भारत का उभार

नास्त्रेदामस ने जिन सुझावों पर प्रकाश डाला, उनमें कहा गया है कि एक崛ासक नेता भविष्य में उभरेगा जिसकी सत्ता समुद्र से घिरा कोई क्षेत्र होगा, जिसकी प्रसिद्धि भूमि और जल दोनों पर होगी। उसने धर्मों और जातियों के विलय की बात भी की, और एक नई विचारधारा के उदय का उल्लेख किया है।

संद अच्युतानंद दास, जो भारत से जुड़े भविष्यवक्ता हैं, उन्होंने कहा है कि एक संन्यासी जैसा नेता आएगा जो अविवाहित होगा और सनातन धर्म की शाश्वत स्थापना करेगा। इसके साथ उन्होंने यह बात भी कही कि सैंकड़ों लोग रूस से जगन्नाथ जी के दर्शन करने आएंगे और वहां हिंदू धर्म की स्वीकार्यता बढ़ेगी।

एनी वेसेंट ने यह माना कि हिंदू धर्म ही वह मार्ग होगा जो विज्ञान और अध्यात्म को संतुलित करते हुए विश्व में स्थायी नेतृत्व प्रदान करेगा। उनके अनुसार, भारत की पहचान इसी अद्वितीय दर्शनशक्ति से बनेगी।

वैज्ञानिक भविष्य के मंत्र: मंगल ग्रह से मंगल ग्रह तक

ऑर्थर क्लार्क ने भविष्यवाणी की है कि संयुक्त ग्रह राज्य संघ (संयुक्त राष्ट्र की बढ़ी हुई संस्करण) संभवतः मंगल ग्रह या गुरु ग्रह पर स्थापित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 1981 तक भारत में एक विचार क्रांति शुरू हो जाएगी, जो विश्वभर को प्रभावित करेगी। इस क्रांति का केंद्र धर्म, दर्शन और विज्ञान का संयोजन होगा।

पीटर हरकौस ने अपेक्षा जताई कि भारत से उठने वाली आध्यात्मिक लहर विश्व भर में फैल जाएगी, जिससे वैश्विक धर्मचेतना में बदलाव आएगा।

फ्रांसीसी विद्वान क्रूजर ने भारत को मानव सभ्यता का मंदिर बताया जिसने दुनिया को ज्ञान और संस्कृति दिया और जिसकी गहरी आत्मा आज भी प्रेरित करती है।

युद्ध और भू-राजनीतिक बदलाव की कल्पना

कुछ भविष्यवाणियां जूल्स वर्ने जैसे लेखकों ने दी हैं, जिसमें उन्होंने भारत-पाकिस्तान संघर्ष, बांग्लादेश की स्वतंत्रता, बलूचिस्तान का अलगाव, चीन द्वारा एटम बम निर्माण और मानव जीवन का मंगल और शुक्र तक फैलना—सब शामिल किया है। हालांकि ये भविष्यवाणियाँ आश्चर्यजनक हैं, लेकिन यह दिलचस्प है कि अधिकांश दृष्टिकोण भारत को कभी न कभी विश्व स्तर पर प्रभावशाली भूमिका में देखता है।

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