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Up Kiran Digital Desk: आयकर रिफंड पाने की प्रक्रिया पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ हो गई है। कुछ साल पहले, रिफंड मिलने में 90 दिन से ज़्यादा का समय लगता था, लेकिन अब कई करदाताओं को यह कुछ ही घंटों में मिल रहा है! आयकर विभाग ने आयकर रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 15 सितंबर तय की है। इस साल, कई करदाताओं ने अनुभव किया है कि ऑनलाइन आईटीआर दाखिल करने के तुरंत बाद उनका रिफंड उनके बैंक खातों में जमा हो गया।
एक घंटे के भीतर रिफंड प्राप्त करने का अनुभव
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, नोएडा के एक मीडिया पेशेवर अरुण प्रकाश ने अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने शाम 5:03 बजे आईटीआर-1 फॉर्म के ज़रिए अपना रिटर्न दाखिल किया और उसी दिन रात 9:02 बजे उनके खाते में रिफंड जमा हो गया। उन्होंने रिटर्न दाखिल करने और रिफंड जमा करने के संदेश के स्क्रीनशॉट भी साझा किए हैं। यह वाकई एक बड़ा बदलाव है।
डिजिटल प्रगति का एक बेहतरीन उदाहरण
कर विशेषज्ञों का कहना है कि पहले आयकर विभाग को रिफंड जारी करने में 30-40 दिन लगते थे, लेकिन अब कुछ लोगों को उसी दिन रिफंड मिल रहा है। यह आयकर विभाग की डिजिटल गति का एक बेहतरीन उदाहरण है। हालाँकि सभी करदाताओं को यह इतनी जल्दी नहीं मिलता, लेकिन यह निश्चित है कि प्रक्रिया पहले की तुलना में बहुत बेहतर और तेज़ हो गई है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल संसद को बताया था कि 2013-14 में औसत रिफंड प्रक्रिया में 93 दिन लगते थे, जो 2023-24 में घटकर केवल 10 दिन रह गया है। सरकार ने न केवल रिफंड प्रक्रिया में तेजी लाई है, बल्कि कर चोरी और फर्जी दावों पर अंकुश लगाने के लिए इसे और सख्त भी बनाया है।
रिफंड इतनी जल्दी कैसे जारी हो रहा है
रिफंड की तेज़ी का मुख्य कारण आयकर विभाग का पूरी तरह से डिजिटल सिस्टम है। अब पुराने एक्सेल सिस्टम की जगह JSON फॉर्मेट ने ले ली है, जिससे डेटा प्रोसेसिंग बहुत तेज़ हो गई है।
ई-सत्यापन के बाद त्वरित प्रक्रिया: रिटर्न ई-सत्यापित होने के बाद, रिफंड प्रक्रिया तुरंत शुरू हो जाती है।
बैंक खाता और पैन-आधार लिंक: बैंक खाते और पैन-आधार लिंक का 'पूर्व-सत्यापन' यह सुनिश्चित करता है कि रिफंड सीधे सही खाते में पहुँचे।
विभाग रिटर्न में दी गई जानकारी का मिलान वार्षिक सूचना विवरण (एआईएस) और फॉर्म 26एएस जैसे अन्य स्रोतों से प्राप्त आंकड़ों से करता है। यदि कोई विसंगति या अतिरिक्त रिफंड का दावा पाया जाता है, तो सिस्टम तुरंत उसे प्रदर्शित करता है। यदि पुराने वर्षों का कर या कर निर्धारण लंबित है, तो रिफंड रोका जा सकता है।
करदाताओं को सलाह दी जा रही है कि वे अपना रिटर्न सही और समय पर दाखिल करें, बैंक विवरण सटीक रखें और जल्दी ई-सत्यापन करवा लें। यदि रिफंड में देरी हो रही है, तो इसकी स्थिति आयकर पोर्टल पर देखी जा सकती है। यह तीव्र प्रक्रिया न केवल करदाताओं के लिए राहत है, बल्कि सरकार की डिजिटल प्रगति का भी एक महत्वपूर्ण प्रमाण है।
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