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Up Kiran, Digital Desk: बिहार की राजनीति में एक नई लहर का आभास हो रहा है, जहां महिलाएं अब सिर्फ वोट बैंक नहीं, बल्कि एक मजबूत राजनीतिक शक्ति के रूप में उभर रही हैं। पहले जहां महिलाएं केवल समर्थक के तौर पर देखी जाती थीं, अब वे राजनीति के उच्चतम मंच पर सक्रिय नेतृत्वकर्ता के रूप में खुद को स्थापित कर रही हैं। राज्य की महिलाएं अब न केवल अपनी सामाजिक पहचान बना रही हैं, बल्कि राजनीतिक क्षेत्र में भी अहम भूमिका निभा रही हैं।

राजनीति में परिवारों की विरासत संभाल रही महिलाएं

बिहार में महिलाएं अपनी राजनीतिक यात्रा को पारिवारिक विरासत से जोड़कर आगे बढ़ा रही हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में यह साफ दिखा कि बिहार में राजनीति अब सिर्फ पुरुषों के लिए नहीं रही, बल्कि राजनीतिक परिवारों की बेटियां और बहुएं भी अब चुनावी मैदान में उतरकर अपने परिवार की राजनीतिक धारा को आगे बढ़ा रही हैं।

उदाहरण के तौर पर, जमुई से विधायक और भाजपा नेता श्रेयसी सिंह, जिन्होंने 2020 में जीत दर्ज की। वह बिहार के जाने-माने नेता दिग्विजय सिंह की बेटी हैं, और उनकी मां पुतुल देवी भी सांसद रह चुकी हैं। ऐसे ही कई अन्य महिलाएं हैं जिन्होंने अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को न केवल आगे बढ़ाया, बल्कि उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।

महिला विधायकों का उदय: बिहार के चुनावी परिदृश्य में बदलाव

बिहार विधानसभा में महिलाओं की सक्रियता लगातार बढ़ रही है। 2020 के विधानसभा चुनाव में 26 महिलाएं विधायक चुनी गईं, जिनमें से 16 महिला विधायक सीधे तौर पर राजनीतिक परिवारों से ताल्लुक रखती थीं। यह आंकड़ा यह दिखाता है कि बिहार में अब राजनीतिक नेतृत्व का चेहरा बदल रहा है, और महिलाएं न सिर्फ चुनावी मैदान में हैं, बल्कि वे जीतने में भी सफल हो रही हैं।

वर्तमान में, बिहार की कई महिला विधायक अपने पूर्वजों के चुनावी क्षेत्र से जीत हासिल कर उनके पदचिन्हों पर चल रही हैं। जैसे कि प्राणपुर की विधायक निशा सिंह, जिनके पति बिनोद सिंह मंत्री रहे हैं, और फुलपरास की विधायक शीला कुमारी, जिनके ससुर धनिक लाल मंडल राज्यपाल रह चुके हैं। इसके अलावा, परिहार की विधायक गायत्री देवी और हिसुआ की विधायक नीतू कुमारी भी अपने पारिवारिक राजनीतिक मार्ग पर चल रही हैं।

2025 चुनाव में महिलाओं की ताकत का नया संदेश

आगामी 2025 विधानसभा चुनाव में भी महिलाओं की भूमिका अहम होगी। इस बार कई महिला उम्मीदवार राजनीतिक परिवारों से चुनावी मैदान में उतर रही हैं। मुजफ्फरपुर के गायघाट विधानसभा क्षेत्र से जदयू की उम्मीदवार कोमल सिंह, जो बहु-पीढ़ीगत राजनीतिक विरासत की प्रतीक हैं, अपनी किस्मत आजमा रही हैं। उनकी मां वीणा देवी लोक जनशक्ति पार्टी की सांसद हैं, जबकि उनके पिता दिनेश प्रसाद सिंह जदयू के विधान पार्षद हैं।

इसी प्रकार, राजद के उम्मीदवार शिवानी शुक्ला, जो लालगंज विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रही हैं, अपने माता-पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। परिहार से राजद की उम्मीदवार स्मिता पूर्वे गुप्ता अपने ससुर रामचंद्र पूर्वे की सियासी विरासत को संभालने का काम कर रही हैं।