Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका फिर से परमाणु परीक्षण करने जा रहा है, जिससे लोगों के दिमाग में वही धमाके और विनाश की तस्वीरें घूमने लगीं जो गूगल पर मिलती हैं। आसमान की ओर उठता धुआं और आग का भयानक दृश्य। आजकल एआई पर भी ऐसी तस्वीरें दिखती हैं। मगर रुकिए, इस बार अमेरिका ऐसा परीक्षण करेगा जिसमें कोई धमाका नहीं होगा। इसे लिमिटेड न्यूक्लियर टेस्ट कहा जा रहा है। कोई धमाका नहीं होगा, धरती नहीं कांपेगी और लोग तुरंत नहीं जान पाएंगे कि ट्रंप के आदेश पर नया परमाणु परीक्षण हुआ है।
ट्रंप के एटमी टेस्ट फिर से शुरू करने की घोषणा के बाद अमेरिका के ऊर्जा मंत्री क्रिस राइट ने विस्तार से बताया कि ये परीक्षण नॉन-क्रिटिकल होंगे। इसका मतलब है कि इसमें फिलहाल कोई परमाणु विस्फोट नहीं होगा। आमतौर पर जब धमाका होता है, तो कई तरह के नुकसान का खतरा बढ़ जाता है।
नॉन-क्रिटिकल न्यूक्लियर टेस्ट क्या होते हैं
अगर धमाका नहीं होगा, तो धरती नहीं हिलेगी। ट्रंप ने कहा कि नॉर्थ कोरिया, पाकिस्तान, चीन और रूस एटमी टेस्ट कर रहे हैं, इसलिए अमेरिका भी अब परमाणु हथियारों का परीक्षण शुरू कर रहा है। अब सवाल यह उठता है कि नॉन-क्रिटिकल न्यूक्लियर टेस्ट क्या होते हैं और ये विस्फोट नहीं होने के बावजूद कैसे काम करेंगे।
क्रिस राइट ने एक टीवी शो में बताया कि ये परीक्षण सिस्टम टेस्ट हैं, इसमें परमाणु विस्फोट नहीं होता। इन्हें नॉन-क्रिटिकल विस्फोट कहा जा सकता है। इसमें केवल हथियारों के पार्ट्स का परीक्षण होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सही काम कर रहे हैं और जरूरत पड़ने पर परमाणु विस्फोट कर सकते हैं।
ट्रंप सरकार के वरिष्ठ मंत्री के अनुसार ये परीक्षण नए सिस्टम पर होंगे ताकि यह देखा जा सके कि नए हथियार पुराने से बेहतर हैं। राइट ने बताया कि विज्ञान और कंप्यूटेशन की मदद से वे बेहद सटीक रूप से सिमुलेट कर सकते हैं कि विस्फोट में क्या होगा। उन्होंने कहा कि परीक्षण के दौरान बम के डिजाइन बदलने पर क्या परिणाम होंगे, इसे भी सिमुलेट किया जा रहा है।
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