
Up Kiran, Digital Desk: एक वक्त था जब मूसी नदी हैदराबाद की शान हुआ करती थी, उसकी जीवनरेखा थी। इसके साफ-सुथरे किनारे शहर की खूबसूरती में चार चाँद लगाते थे। लेकिन आज जब हम मूसी को देखते हैं, तो दिल बैठ जाता है। कल तक जो नदी हैदराबाद की प्यास बुझाती थी, आज वह एक गंदे नाले में तब्दील हो चुकी है, जिसके पास खड़े होना भी मुश्किल है।
यह सिर्फ एक नदी की कहानी नहीं है, यह एक शहर की कहानी है जिसने अपनी सबसे कीमती धरोहर को अपनी ही आँखों के सामने बर्बाद होते देखा है। फैक्ट्रियों का जहरीला केमिकल, घरों की गंदगी और सीवेज का पानी, सब कुछ बिना किसी रोक-टोक के मूसी में बहाया जाता रहा। नदी के किनारों पर अवैध कब्जे हो गए और धीरे-धीरे हम यह भूल ही गए कि यह कोई नदी भी थी।
लेकिन अब समय है कि हम अपनी इस गलती को सुधारें। हमें मूसी नदी की उस पुरानी शान को वापस लौटाना होगा। यह काम सिर्फ सरकार का नहीं है, यह हम सब की ज़िम्मेदारी है। हमें यह समझना होगा कि मूसी नदी को बचाना सिर्फ पर्यावरण को बचाना नहीं है, बल्कि हैदराबाद के भविष्य को बचाना है।
अगर हम साबरमती नदी की तरह मूसी के किनारों को भी खूबसूरत बना सकें, तो यह शहर के लिए एक नया तोहफा होगा। सोचिए, जहाँ आज गंदगी और बदबू है, वहाँ कल सुंदर घाट, हरे-भरे पार्क और घूमने-फिरने की जगहें हो सकती हैं। यह न सिर्फ शहर की सुंदरता को बढ़ाएगा, बल्कि पर्यटन और रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा।
हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हम अपनी मूसी नदी को उसका खोया हुआ सम्मान वापस दिलाएंगे और उसे फिर से हैदराबाद की सच्ची जीवनरेखा बनाएंगे।