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Up Kiran, Digital Desk: क्या कोई फिल्म किसी की ज़िंदगी बदल सकती है? अगर आपको लगता है कि इसका जवाब 'नहीं' है, तो आप गलत हैं। एमसीएस लॉजिस्टिक्स, अक्षय एंटरप्राइजेज, जला बेवरेजेज, पर्पल हेज़ वेलनेस स्पेस और न्यूट्री प्लैनेट के मालिक राजा नायक के बारे में अगर आप जानेंगे, तो आपका नज़रिया ज़रूर पूरी तरह बदल जाएगा। कभी भूख और गरीबी से जूझने वाले राजा आज करीब 100 करोड़ रुपये का कारोबार करते हैं। बचपन में उन्होंने एक दोस्त की सलाह पर अमिताभ बच्चन की फिल्म 'त्रिशूल' देखी और उसके बाद उनकी किस्मत बदल गई।

इस फिल्म ने उन्हें इतना प्रेरित किया कि 17 साल की उम्र में ही वे इस कारोबार में उतर गए। सालों की कठोर तपस्या, दृढ़ संकल्प, बार-बार गिरने और उठने का हौसला और गरीबी से बाहर निकलने के सपने ने राजा को करोड़पति बना दिया। राजा की कहानी फिल्म 'त्रिशूल' के नायक से कम नहीं है, जहाँ संघर्ष की हर परत के बाद एक नया मोड़ आता है और इंसान दूसरों के लिए मिसाल बन जाता है।

राजा नायक का जन्म बेंगलुरु के एक गरीब परिवार में हुआ था। छोटी सी उम्र में ही उन्हें अपने माता-पिता की स्थिति का पता चल गया था। उन्हें एहसास हुआ कि उनके पास उन्हें स्कूल भेजने के लिए पैसे नहीं हैं। नतीजतन, उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी। 1978 में अमिताभ बच्चन की फिल्म त्रिशूल देखने के बाद, उनके जीवन की दिशा बदल गई। उस फिल्म में उन्होंने देखा कि कैसे एक गरीब आदमी रियल एस्टेट कारोबारी बनकर ऊंचाइयों को छूता है। थिएटर में बिताए वो तीन घंटे उनके लिए ज़िंदगी बदल देने वाले साबित हुए।

17 साल की उम्र में छोड़ा घर

राजा नायक 17 साल की उम्र में कुछ बड़ा करने की चाहत में घर छोड़कर मुंबई आ गए। लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली। वे वापस लौट आए, लेकिन हार नहीं मानी। वे सही मौके की तलाश में रहे। उन्होंने बैंगलोर में फुटपाथ पर कुछ लोगों को सामान बेचते देखा था। उन्होंने अपने दोस्त दीपक के साथ इस व्यवसाय में उतरने का फैसला किया।

माँ की बचत से व्यवसाय

राजा की माँ थोड़े-थोड़े पैसे बचाती थीं। अपनी माँ की बचत के 10,000 रुपये से वे तमिलनाडु के तिरुपुर पहुँचे और वहाँ से 50 रुपये में सस्ती कमीज़ें खरीदकर बैंगलोर ले आए। उन्होंने सारी कमीज़ें नीले और सफ़ेद रंग की खरीदीं। इसके पीछे एक ख़ास मकसद था। उनके घर से थोड़ी ही दूरी पर एक फ़ैक्टरी थी। उसके कर्मचारी सिर्फ़ नीले और सफ़ेद रंग की कमीज़ें पहनते थे। वह अपने दोस्त दीपक के साथ फ़ैक्टरी के गेट के बाहर उन्हें बेचने बैठ जाता था। एक दिन में उन्होंने सारी कमीज़ें बेच दीं और 5,000 रुपये का मुनाफ़ा कमाया। राजा को यहीं से एहसास हुआ कि कड़ी मेहनत और सही मौक़ा ही सच्ची सफलता की कुंजी है।

व्यापार बढ़ता गया

कमीज़ के साथ-साथ, उन्होंने जूते और घरेलू सामान भी बेचना शुरू कर दिया। कारोबार शुरू होने के बाद, उन्होंने प्रदर्शनी स्टॉल लगाए, अपने बच्चों को नौकरी पर रखा और खुद एक पूरी बिक्री व्यवस्था स्थापित की। इतना ही नहीं, उन्होंने कोल्हापुरी चप्पलों और जूतों का भी कारोबार शुरू किया।

1991 में पैकेजिंग व्यवसाय में प्रवेश

भारत के उदारीकरण के बाद के सफ़र में अगला बड़ा कदम 1991 में तब आया जब राजा ने अक्षय एंटरप्राइजेज की शुरुआत की और पैकेजिंग व्यवसाय में कदम रखा। 1998 में, उन्होंने लॉजिस्टिक्स की दुनिया में कदम रखा और एमसीएस लॉजिस्टिक्स की स्थापना की, जो आज एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफल कंपनी है। उनका विस्तार यहीं नहीं रुका। उन्होंने जला बेवरेजेस नामक एक पेयजल कंपनी की स्थापना की, बैंगलोर में पर्पल हेज़ नामक तीन ब्यूटी सैलून और स्पा चेन शुरू कीं और बाद में न्यूट्री प्लैनेट की स्थापना की, जो वैज्ञानिक अनुसंधान पर आधारित स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ और एनर्जी बार बनाती है।

आज वे करोड़पति हैं

राजा नायक आज एक सफल उद्योगपति हैं। उनका वार्षिक कारोबार लगभग 100 करोड़ रुपये है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनके जैसी परिस्थितियों में रहने वाले बच्चे शिक्षा से वंचित न रहें, उन्होंने "कलानिकेतन एजुकेशनल सोसाइटी" के तहत स्कूल और कॉलेज शुरू किए। वे "दलित भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल (DICCI)" की कर्नाटक शाखा के अध्यक्ष भी रहे हैं। वे वर्तमान में दलित भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल के उपाध्यक्ष हैं।

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