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Up Kiran, Digital Desk: कर्नाटक का विश्व प्रसिद्ध मैसूर दशहरा उत्सव इस बार शुरू होने से पहले ही एक बड़े विवाद में घिर गया है। मामला अब इतना बढ़ गया है कि यह देश की सबसे बड़ी अदालत, यानी सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गया है। विवाद का कारण है - इस साल दशहरा उत्सव का उद्घाटन कौन करेगा।

क्या है पूरा मामला: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने इस साल मैसूर दशहरा उत्सव का उद्घाटन करने के लिए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बी.जेड. जमीर अहमद खान की पत्नी, बानू मुश्ताक को आमंत्रित किया है। सरकार के इसी फैसले के खिलाफ राज्य के मंदिर पुजारियों का एक संगठन सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया है।

क्यों है पुजारियों को आपत्ति?

याचिका दायर करने वाले 'अखिल कर्नाटक हिंदू मंदिर अर्चक आगराकारा ओक्कूटा' (पुजारियों का संगठन) का कहना है कि यह फैसला हिंदू परंपराओं और रीति-रिवाजों के खिलाफ है।

परंपरा का हवाला: उनकी दलील है कि मैसूर दशहरा एक धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है, जिसकी परंपराएं सदियों पुरानी हैं। इन परंपराओं ("आगम शास्त्र") के मुताबिक, इसका उद्घाटन किसी ऐसे व्यक्ति से नहीं कराया जा सकता जो हिंदू धर्म का पालन न करता हो।

"आस्था पर चोट": पुजारियों का कहना है कि सरकार का यह फैसला लाखों हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने जैसा है।

सुप्रीम कोर्ट करेगा कल सुनवाई

यह मामला इतना गंभीर है कि सुप्रीम कोर्ट भी इस पर तुरंत सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। याचिकाकर्ताओं के वकील ने जब अदालत से इस पर जल्द सुनवाई की मांग की, तो कोर्ट ने कहा कि वह शुक्रवार को इस मामले को सुनेगा।

अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं। अदालत का फैसला ही यह तय करेगा कि इस साल मैसूर दशहरा का उद्घाटन कौन करेगा और क्या सरकार का फैसला परंपराओं पर भारी पड़ेगा या परंपराओं को सम्मान दिया जाएगा।