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Up Kiran, Digital Desk: भारत की रणनीतिक जवाबी कार्रवाई 'ऑपरेशन सिंदूर' ने पाकिस्तान की वायुसेना को तगड़ा झटका दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान को 29 हजार करोड़ रुपए का भारी नुकसान उठाना पड़ा है। लेकिन ऐसे नुकसान के बावजूद पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर को फील्ड मार्शल बना दिया गया है। सवाल यह है कि आखिर क्यों? आइए इस पूरे घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं।
रहीम यार खान बेस बना ICU, पीएम मोदी ने भी कसा तंज
CDF (चक डॉयलॉग्स फाउंडेशन) की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान की वायुसेना को रणनीतिक और आर्थिक रूप से पंगु कर दिया है। बीकानेर की एक सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तीखा तंज कसते हुए कहा था, "पाकिस्तान का रहीम यार खान एयरबेस अब ICU में है।"
असीम मुनीर की तरक्की: डर की राजनीति या अंतरराष्ट्रीय साज़िश
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाक सेना प्रमुख असीम मुनीर को फील्ड मार्शल पद पर तरक्की देना एक हैरान कर देने वाला कदम था। विपक्षी दलों और खुद इमरान खान ने इस फैसले की आलोचना की है। दरअसल, मुनीर पर भारत के कई सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की विफलता की जिम्मेदारी है। बावजूद इसके, उन्हें प्रमोट करना एक तरह से अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को भ्रमित करने की रणनीति मानी जा रही है।
इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान में सैन्य प्रमुखों ने अक्सर तानाशाही रुख अपनाया है। मुनीर का खुद को फील्ड मार्शल घोषित करवाना भी सत्ता पर पकड़ मजबूत करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है, ताकि उन्हें कोर्ट मार्शल से बचाया जा सके।
ऑपरेशन सिंदूर: वायुसेना की करारी हार और आर्थिक तबाही
कुल अनुमानित नुकसान: 29,000 करोड़ रुपए (3.4 बिलियन डॉलर)
इस भारी नुकसान में शामिल हैं:
F-16 फाइटर जेट (4): नुकसान 350 मिलियन डॉलर
Saab-2000 AEW&C (1): नुकसान 35 मिलियन डॉलर
शाहीन क्लास मिसाइलें (2): नुकसान 8 मिलियन डॉलर
IL-78 रिफ्यूलिंग टैंकर: नुकसान 35 मिलियन डॉलर
CM-400AKG मिसाइल: नुकसान 3.2 मिलियन डॉलर
Bayraktar TB2 ड्रोन (6): नुकसान 36 मिलियन डॉलर
AWACS सिस्टम: संभावित नुकसान 200 मिलियन डॉलर तक
सरगोधा एयरबेस की मरम्मत: 100 मिलियन डॉलर की जरूरत
इस तरह पाकिस्तान की एयर डिफेंस को जो झटका लगा है, वह उसकी सैन्य ताकत को लंबे समय तक कमजोर कर सकता है।
जिहादी जनरल की छवि और प्रमोशन का राजनीतिक मतलब
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने असीम मुनीर को पहलगाम आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार ठहराया। मुनीर के भाषणों और उनके कट्टर इस्लामिक रुख ने उन्हें ‘जिहादी जनरल’ की छवि दी है। भारत में यह आशंका भी है कि उनकी तरक्की दरअसल पाकिस्तान की कट्टर नीतियों को और बढ़ावा दे सकती है।
मुनीर के प्रमोशन को भारत के खिलाफ एक मनोवैज्ञानिक युद्ध के रूप में भी देखा जा रहा है। पाकिस्तान एक तरफ युद्ध में करारी शिकस्त खाता है और दूसरी तरफ उसी हार को छुपाने के लिए अपने फौजी जनरल को सम्मानित करता है।
ऑपरेशन सिंदूर ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि भारत अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाने को तैयार है। वहीं, पाकिस्तान के पास अब न तो संसाधन हैं और न ही नैतिक बल, जिससे वह अपने नुकसान की भरपाई कर सके।
असीम मुनीर की तरक्की इस बात का प्रतीक बन गई है कि पाकिस्तान अब सच्चाई से मुंह मोड़ रहा है और दिखावे की राजनीति के जरिए अपनी विफलताओं पर पर्दा डालना चाहता है।
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