
Up Kiran, Digital Desk: भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से राष्ट्र को संबोधित किया। जहां एक ओर उन्होंने देश की उपलब्धियों, राष्ट्रीय सुरक्षा, विकास और आत्मनिर्भरता पर प्रकाश डाला, वहीं दूसरी ओर प्रमुख विपक्षी दलों, जैसे कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के नेताओं ने उनके भाषण की आलोचना की।
विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री के भाषण पर सवाल उठाते हुए शासन, लोकतांत्रिक मूल्यों और चुनावी प्रक्रियाओं की अखंडता पर चिंता जताई। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने शुरुआती वादों से भटक गई है और अब धर्मनिरपेक्ष व समाजवादी मार्ग पर नहीं चल रही है। उन्होंने कहा, "आरएसएस परिवार का रास्ता न तो धर्मनिरपेक्ष है और न ही समाजवादी। वे मुंह से स्वदेशी की बात करते हैं लेकिन दिल से विदेशी सोचते हैं।"
कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने देश की प्रगति पर संतोष व्यक्त करते हुए भी बढ़ती बेरोजगारी, घटिया बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर विभाग और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जैसी संवैधानिक संस्थाओं के राजनीतिकरण पर गंभीर चिंता जताई।
उन्होंने कहा कि इन संस्थाओं का दुरुपयोग राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है, जो सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप की मांग करता है। खड़गे ने यह भी कहा कि भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा कम हुई है और देश अपनी पारंपरिक गुटनिरपेक्ष नीति से दूर हो गया है। उन्होंने चुनावी प्रक्रियाओं में गड़बड़ी, मतदाता सूचियों में विसंगतियों और चुनाव आयोग की पारदर्शिता की कमी जैसे मुद्दों को भी उठाया।
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