Up Kiran, Digital Desk: बिहार की राजनीति एक बार फिर करवट ले रही है और इस बार पहिए को घुमा रहे हैं चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर। उनकी पार्टी जनसुराज ने टिकटों के बंटवारे में ऐसी चाल चली है जिससे सत्तारूढ़ दल और विपक्ष दोनों की चिंता बढ़ गई है। PK ने परंपरागत जातीय समीकरणों से हटकर हर वर्ग को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है। अब तक जारी दो सूचियों में कुल 116 उम्मीदवारों का नाम सामने आया है, जिससे साफ होता है कि PK सिर्फ सियासत नहीं, समाज बदलने की बात कर रहे हैं।
हरनौत से SC कैंडिडेट उतारकर नीतीश को सीधी चुनौती
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की गढ़ मानी जाने वाली हरनौत सीट से जनसुराज ने बड़ा मास्टरस्ट्रोक मारा है। यहां से कमलेश पासवान को मैदान में उतारकर PK ने एक अलग ही संदेश देने की कोशिश की है। यह सिर्फ एक राजनीतिक दांव नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समावेशी राजनीति की ओर इशारा है। दिलचस्प बात ये है कि कमलेश एक अनुसूचित जाति से आते हैं और यह सीट सामान्य श्रेणी की है।
जात-पात से ऊपर उठकर बनाई रणनीति
जनसुराज की दूसरी सूची में साफ दिख रहा है कि टिकट वितरण में जातीय संतुलन बारीकी से साधा गया है। 18 SC, 1 ST, 14 अति पिछड़ा, 10 EBC, 11 सामान्य वर्ग और 4 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट मिला है। यह मॉडल दर्शाता है कि PK किसी एक वोट बैंक पर नहीं, बल्कि सबको साथ लेकर चलने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। इस फार्मूले के जरिए वे बिहार की पारंपरिक जाति आधारित राजनीति को खुली चुनौती दे रहे हैं।
मुसलमानों पर भी फोकस, AIMIM और RJD की नींद उड़ी
जनसुराज की लिस्ट में मुस्लिम समुदाय के 4 उम्मीदवार शामिल हैं, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि PK का प्लान मुस्लिम बहुल इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत करने का है। यह कदम सीधे तौर पर RJD और AIMIM जैसी पार्टियों के वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति माना जा रहा है। PK की नजर मुस्लिम मतदाताओं के उस वर्ग पर है जो विकास और भागीदारी चाहता है।
चिराग की सीटों पर जनसुराज की एंट्री, दलित वोट बैंक में सेंध की तैयारी
लोजपा (रामविलास) के नेता चिराग पासवान के प्रभाव वाले इलाकों में जनसुराज ने ऐसे चेहरे उतारे हैं जो वहां की जमीन पर मजबूत माने जाते हैं। यह रणनीति PK की तरफ से चिराग को टक्कर देने की एक सोची-समझी कोशिश लगती है। दलित वोट बैंक को लुभाने की यह रणनीति आगे जाकर बड़ा असर दिखा सकती है।
हर जाति को मिला मौका, सबका साथ का नया पैटर्न
यादव, कुर्मी, ब्राह्मण, भूमिहार, पासवान, मुसलमान PK की टीम ने सभी प्रमुख जातियों से उम्मीदवारों को मौका दिया है। यह बताते हुए पार्टी ने खुद को किसी एक वर्ग की पार्टी न बताकर समावेशी राजनीति का चेहरा बनाने की कोशिश की है। यह नया समीकरण बिहार में कई राजनीतिक समीकरणों को तोड़ सकता है।
सामाजिक बदलाव का संकेत या वोट बैंक की रणनीति
सवाल यह है कि क्या PK की यह चाल सिर्फ वोट पाने का तरीका है या बिहार में एक नई राजनीतिक सोच की शुरुआत? सामान्य सीटों पर SC उम्मीदवार, मुस्लिम समुदाय की भागीदारी और जातियों का संतुलन ये सारी बातें एक अलग राजनीति की ओर इशारा करती हैं।
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