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भारत और मालदीव के संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत तब हुई, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिटेन की यात्रा पूरी करने के बाद शुक्रवार को मालदीव की राजधानी माले पहुँचे। यह यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब दोनों देशों के बीच संबंधों में हाल के वर्षों में कुछ तनाव देखने को मिला था। लेकिन इस दौरे को द्विपक्षीय सहयोग को मजबूती देने के अवसर के रूप में देखा जा रहा है।

माले के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री मोदी का भव्य स्वागत किया गया। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू स्वयं अपने मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सदस्यों—विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और गृह सुरक्षा मंत्री—के साथ मौजूद थे। पारंपरिक नृत्य और बच्चों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने स्वागत समारोह को खास बना दिया।

यह दौरा इसलिए भी विशेष है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी को मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया है। यह आयोजन 26 जुलाई को होने वाला है, जहां भारतीय प्रधानमंत्री विशेष रूप से सम्मानित अतिथि के रूप में शामिल होंगे। इस ऐतिहासिक समारोह के दौरान भारत द्वारा समर्थित कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन भी प्रस्तावित है।

प्रधानमंत्री मोदी की इस दो दिवसीय यात्रा में राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू से व्यापक चर्चा भी निर्धारित है, जिसमें आर्थिक सहयोग, समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री के अनुसार, यह किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष की राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू के कार्यकाल में पहली राजकीय यात्रा है, जिससे इस दौरे की अहमियत और भी बढ़ जाती है। मुइज़्ज़ू ने नवंबर 2023 में पदभार संभाला था, और तब से भारत के साथ संबंधों में कुछ ठंडापन देखा गया था। इस पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा दोनों देशों के रिश्तों को नई ऊर्जा देने वाली मानी जा रही है।

यात्रा से पूर्व अपने आधिकारिक बयान में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "इस वर्ष भारत और मालदीव के बीच कूटनीतिक संबंधों की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ भी है। मैं राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू और मालदीव के अन्य नेताओं से मिलकर, दोनों देशों के बीच व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा सहयोग को और सशक्त बनाने को लेकर आशान्वित हूँ।"

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