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मेरे पास किसानों के लिए त्यागने को कुछ नहीं है। लिहाजा मैं यह सम्मान वापस कर रहा हूं। अगर किसानों का अपमान हो तो किसी तरह के सम्मान का कोई लाभ नहीं। ये बोल पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के, जिन्होंने किसानों के समर्थन में अपना पद्म विभूषण वापस करने का एलान किया था, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना राजनीतिक गुरु मानते थे, मंच पर पैर छूकर उनको प्रणाम करते थे, जिन्हें मोदी ने भारत का नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela of India) कहा था।

किसानों के बीच से निकले एक ऐसे नेता थे जिन्हें विपक्षी नेता भी अपना नेता मानते थे। आज आपको पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल (Nelson Mandela of India) के बारे में बताएंगे, जिनकी पांच दशक की राजनीति ने पंजाब को बदलकर रख दिया। प्रकाश सिंह बादल की राजनीति की शुरुआत 1947 से ही हो चुकी थी। इस समय वह पहली बार सरपंच चुने गए थे। सरपंच से लेकर विधायक की कुर्सी तक पहुंचने तक उन्हें 10 वर्ष लग गए। 1957 में उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और जबरदस्त जीत हासिल की थी।

1969 में प्रकाश सिंह बादल (Nelson Mandela of India) फिर से विधानसभा के लिए चुने गए और गुरनाम सिंह की सरकार में उन्हें सामुदायिक विकास, पंचायती राज, पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्रालय का कार्यभार दिया गया। 1970 में जब वह पहली बार मुख्यमंत्री बने तो उनकी उम्र मात्र 43 साल की थी और इसी के साथ उन्होंने सबसे कम उम्र का सीएम बनने का रिकॉर्ड बनाया था। प्रकाश सिंह बादल रिकॉर्ड पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने तो वहीं 10 बार विधानसभा का चुनाव जीता था।

2017 में जब उनका सीएम के रूप में अंतिम कार्यकाल पूरा हुआ तब उनकी उम्र 90 साल थी और इसी के साथ उन्होंने सबसे उम्रदराज मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड भी अपने नाम किया था। अपने राजनीतिक करियर में वह चौधरी चरण सिंह की सरकार से लेकर मोरारजी देसाई की सरकार तक कई बार केंद्रीय मंत्री ही बने। भाजपा के साथ उनका गठबंधन लंबे समय से था। (Nelson Mandela of India)

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