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पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में हुए 13,500 करोड़ रुपये के लोन घोटाले के मुख्य आरोपी और लंबे समय से फरार चल रहे हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को आखिरकार बेल्जियम में गिरफ्तार कर लिया गया है। यह गिरफ्तारी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अनुरोध पर की गई। अब भारत सरकार उसे वापस लाने की तैयारी में जुट गई है।

बेल्जियम में ट्रेस हुआ चोकसी, प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू

मेहुल चोकसी को भारतीय एजेंसियों ने बेल्जियम में ट्रेस किया, जहां वह काफी समय से छिपकर रह रहा था। रिपोर्ट्स के अनुसार, 65 वर्षीय चोकसी को 12 अप्रैल 2025 को गिरफ्तार किया गया और वह इस समय बेल्जियम की जेल में बंद है। उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया अब शुरू की जा रही है, हालांकि चोकसी के वकील अदालत में उसकी खराब सेहत और अन्य कानूनी तर्कों के आधार पर जमानत की मांग कर सकते हैं।

एंटीगुआ से फरार होने के बाद चोकसी बेल्जियम पहुंचा, जहां उसकी पत्नी प्रीति चोकसी पहले से रह रही हैं। प्रीति के पास बेल्जियम की नागरिकता है और माना जा रहा है कि इसी वजह से चोकसी ने भी वहां शरण लेने की कोशिश की। आरोप है कि चोकसी ने वहां की सरकार को गुमराह करने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया ताकि वह भारत प्रत्यर्पित न किया जा सके।

13,500 करोड़ रुपये का घोटाला और भगोड़ा जीवन

मेहुल चोकसी ने अपने भतीजे नीरव मोदी के साथ मिलकर पीएनबी से 13,500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की थी। जैसे ही इस घोटाले का खुलासा हुआ, वह जनवरी 2018 में देश छोड़कर फरार हो गया। भारत छोड़ने से पहले ही उसने एंटीगुआ की नागरिकता हासिल कर ली थी। यह घोटाला देश के इतिहास में सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक माना जाता है।

एंटीगुआ में रह रहे चोकसी को 2021 में तब हिरासत में लिया गया था जब वह कथित तौर पर क्यूबा की ओर भागने की कोशिश कर रहा था। उस वक्त उसे डोमिनिका में पकड़ लिया गया था। हालांकि, उसने दावा किया था कि उसे जबरन किडनैप कर वहां ले जाया गया था और यह सब एक राजनीतिक साजिश के तहत किया जा रहा है। साथ ही, उसने आरोप लगाया कि भारत में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गैरकानूनी तरीके से उसकी संपत्तियां जब्त की हैं।

अब क्या होगा?

बेल्जियम में उसकी गिरफ्तारी के बाद भारतीय एजेंसियों की प्राथमिकता उसे जल्द से जल्द भारत वापस लाना है ताकि उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सके। हालांकि, उसकी कानूनी लड़ाई अभी बाकी है, जिसमें वह स्वास्थ्य और मानवाधिकारों का हवाला देकर प्रत्यर्पण को रोकने की कोशिश कर सकता है।

इस बीच, भारत सरकार के लिए यह एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है, क्योंकि इतने वर्षों की कोशिशों के बाद वह अब चोकसी को वापस लाने के करीब है। यदि प्रत्यर्पण की प्रक्रिया पूरी होती है, तो यह न केवल न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम होगा, बल्कि देश की कानून व्यवस्था में लोगों का भरोसा भी मजबूत करेगा।

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