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पहलगाम के खूबसूरत पहाड़ों और हरे-भरे वादियों में जब गोलियों की आवाज गूंजी और 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई, तो पूरा देश सदमे में डूब गया। इस दर्दनाक आतंकी हमले के बाद देश के गृह मंत्री अमित शाह ने श्रीनगर पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी और उनके परिजनों से मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाया।

गमगीन माहौल में अमित शाह का पुलिस कंट्रोल रूम दौरा

श्रीनगर के पुलिस कंट्रोल रूम का माहौल उस वक्त बेहद गमगीन हो गया, जब गृह मंत्री अमित शाह ने वहां पहुंचकर मारे गए लोगों को पुष्पचक्र अर्पित किया। उनके चेहरे पर साफ झलक रहा था कि वो इस वीभत्स हमले से कितने आहत हैं। जैसे ही वो मृतकों के परिजनों की ओर बढ़े, लोगों की आंखों से आंसू झरने लगे।

परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल, शाह ने बढ़ाया हौसला

मृतकों के परिवारों के हालात ऐसे थे कि हर किसी की आंखें नम हो गईं। कुछ लोग दर्द से टूटे हुए थे, तो कुछ बच्चों की आंखों में डर और खालीपन साफ नजर आ रहा था। गृह मंत्री ने उन बच्चों को गले लगाया, उनके सिर पर हाथ फेरा और भरोसा दिलाया कि उनका दुख अकेले का नहीं है—पूरा देश उनके साथ है।

"भारत कभी आतंक के आगे नहीं झुकेगा" - शाह का सख्त संदेश

अमित शाह ने इस मौके पर एक सशक्त संदेश भी दिया। सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा, "भारी मन से पहलगाम आतंकी हमले के मृतकों को अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। भारत आतंक के आगे कभी नहीं झुकेगा। इस नृशंस हमले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।"

इस बयान के साथ उन्होंने देशवासियों को यह विश्वास भी दिलाया कि भारत आतंकवाद से निपटने में पूरी तरह सक्षम और तैयार है।

बैसरन भी पहुंचे गृह मंत्री, किया हमले के स्थान का दौरा

हमले की गंभीरता को देखते हुए अमित शाह ने श्रीनगर से करीब 110 किलोमीटर दूर बैसरन का भी दौरा किया, जहां ये हमला हुआ था। उन्होंने हेलिकॉप्टर से घटनास्थल पहुंचकर अधिकारियों से विस्तृत जानकारी ली और वहां की सुरक्षा व्यवस्था का भी जायजा लिया।

सुरक्षा समीक्षा बैठक की अध्यक्षता

शाह ने श्रीनगर में एक उच्च स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक की भी अध्यक्षता की। इस बैठक में पुलिस महानिदेशक नलिन प्रभात और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल भी मौजूद थे। बैठक में हमले के पीछे की रणनीति, आतंकियों की पहचान और भविष्य की सुरक्षा योजनाओं पर चर्चा की गई।

26 जिंदगियों का अंत, लेकिन हौसले जिंदा हैं

मंगलवार को हुए इस आतंकी हमले में ज्यादातर पीड़ित पर्यटक थे, जो कश्मीर की वादियों में सुकून की तलाश में आए थे। उन्हें क्या पता था कि मौत छिपकर उनका इंतजार कर रही है। इस हमले ने न केवल मासूम जिंदगियों को छीन लिया, बल्कि देश के हर नागरिक के दिल में गुस्से और दुख की लहर दौड़ा दी।