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Up Kiran, Digital Desk: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए भीषण आतंकी हमले की जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ है। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा की जा रही इस मामले की जांच में पता चला है कि हमले को अंजाम देने वाले मुख्य पाकिस्तानी आतंकी - हाशिम मूसा और तल्हा भाई - हमले से काफी पहले, 15 अप्रैल को ही पहलगाम पहुंच गए थे।

इस पूरी साजिश को अंजाम देने में 15 ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) ने इन आतंकियों की मदद की थी। जानकारी के मुताबिक, इन आतंकियों ने हमले को अंजाम देने से पहले इन OGWs की मदद से अपना नेटवर्क तैयार किया था। जांच से यह साफ हो गया है कि हमलावर आतंकी घटना से करीब एक हफ्ते पहले ही इलाके में पहुंच चुके थे, जिससे पता चलता है कि यह एक सोची-समझी साजिश थी।

गुलमर्ग था पहला निशाना, फिर बदला प्लान

एनआईए की जांच में यह बात भी सामने आई है कि आतंकियों के निशाने पर पहलगाम के अलावा तीन और जगहें थीं। उनकी शुरुआती योजना गुलमर्ग में आतंक फैलाने की थी। लेकिन, वहां सुरक्षाबलों की कड़ी तैनाती को देखते हुए आतंकियों को अपना प्लान बदलना पड़ा और उन्होंने दक्षिण कश्मीर का रुख किया। यहां उन्होंने लश्कर के स्थानीय आतंकवादी आदिल ठोकर के साथ मिलकर पहलगाम हमले की साजिश रची।

जिन तीन मुख्य आतंकियों की पहचान हुई है, वे हैं:

सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल, कुकरनाग के जंगलों में बेस

जांच में यह भी पता चला है कि हमले से पहले आतंकियों ने आपस में संपर्क साधने के लिए सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल किया था। उन्होंने अपना अस्थायी ठिकाना कुकरनाग के घने जंगलों में बनाया था। माना जा रहा है कि इस पूरे हमले का मास्टरमाइंड, हाशिम मूसा, अभी भी कश्मीर में ही कहीं छिपा हुआ है।

यह स्पष्ट है कि हमले को भले ही इन तीन आतंकियों ने सीधे तौर पर अंजाम दिया हो, लेकिन पर्दे के पीछे 15 OGWs का एक पूरा नेटवर्क उनकी मदद कर रहा था। गौरतलब है कि यह कायराना हमला 22 अप्रैल को किया गया था, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी। इस हमले के बाद से ही भारत सरकार और सुरक्षाबल लगातार आतंकियों और उनके मददगारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रहे हैं।

 

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