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Up Kiran, Digital Desk: भारत और पाकिस्तान के बीच वर्षों से चले आ रहे तनावपूर्ण रिश्तों में एक नया मोड़ तब आया जब पाकिस्तान ने अपनी स्कूली किताबों में भारत के खिलाफ झूठी कहानियों को जगह दी। खासकर हलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने सच्चाई से मुंह मोड़ते हुए इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है। भारत की कार्रवाई में हुई करारी हार से पाकिस्तान अब तक उबर नहीं पाया, इसलिए अपनी जनता और खासकर बच्चों को एक काल्पनिक 'जीत' की कहानी सुनाई जा रही है।
जब आतंकी हमले के बाद भारत ने किया निर्णायक प्रहार
22 अप्रैल को आतंकियों ने पहलगाम में आम नागरिकों को निशाना बनाया, जिसमें 22 निर्दोष लोगों की जान चली गई। इस हमले में कई परिवार हमेशा के लिए उजड़ गए। जवाब में 7 मई को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकियों के कई ठिकानों पर सटीक हमला कर उन्हें तबाह कर दिया। इस सैन्य कार्रवाई में 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए। लेकिन पाकिस्तान के नए स्कूल पाठ्यक्रम में इसे उल्टा दिखाया गया है — वहां लिखा गया है कि भारत ने बिना वजह जंग की शुरुआत की।
पाठ्यक्रम में गढ़ी गई ‘काल्पनिक विजय’
पाकिस्तानी किताबों में दावा किया गया है कि उसकी सेना ने भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले किए, जबकि सैटेलाइट तस्वीरों और वीडियो सबूतों के आधार पर भारत ने स्पष्ट कर दिया कि पाकिस्तानी सेना की ये कोशिशें नाकाम रहीं। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) समेत कई आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर नष्ट कर दिया। इसके बाद भी पाक पाठ्यक्रम में कहा गया है कि पाकिस्तान ने भारत के 26 राजनीतिक और सैन्य केंद्रों को नुकसान पहुंचाया — जो पूरी तरह गलत है।
सच्चाई से भागता पाकिस्तान, इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया
पाकिस्तान ने अपने विद्यार्थियों को यह बताने से परहेज किया कि भारत ने मुरीदके, नूर खान, रफीकी, सरगोधा, रहीम यार खान जैसे प्रमुख हवाई अड्डों को भी सफलतापूर्वक निशाना बनाया था। साथ ही भारत की वायु रक्षा प्रणाली ने पाकिस्तान की तरफ से किए गए सभी हवाई प्रयासों को विफल कर दिया। लेकिन इन तथ्यों को पाकिस्तानी शिक्षा में पूरी तरह छुपा लिया गया है।
बच्चों की सोच पर असर डालने की साजिश
ये पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान ने अपने नागरिकों को सच्चाई से दूर रखने की कोशिश की हो। लेकिन जब स्कूली किताबों के ज़रिए बच्चों के दिमाग में गलत बातें भरी जाएं, तो ये केवल एक देश की आंतरिक नीति नहीं बल्कि एक भविष्य को गुमराह करने की साजिश बन जाती है। इतिहास को गलत रूप में पेश करना किसी भी समाज के लिए खतरनाक होता है।