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Up Kiran, Digital News:  बीते हफ्ते भारत द्वारा पाकिस्तान के अंदर किए गए सटीक और सुनियोजित मिसाइल हमलों ने केवल दक्षिण एशिया ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को चौंका दिया है। भारतीय वायु सेना द्वारा किए गए इन हमलों में पाकिस्तान के रणनीतिक सैन्य अड्डों को निशाना बनाया गया जिनमें सबसे प्रमुख है – रावलपिंडी के पास स्थित चकलाला एयरबेस जिसे नूर खान एयरबेस के नाम से भी जाना जाता है।

रणनीतिक निशाना: चकलाला एयरबेस

यह एयरबेस न केवल पाकिस्तान वायुसेना की रीढ़ है बल्कि यह सैन्य मुख्यालय के अत्यंत निकट स्थित है। इसे निशाना बनाकर भारत ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि वह न केवल सैन्य तैयारी में सक्षम है बल्कि उसकी खुफिया जानकारी और तकनीकी क्षमता भी अत्याधुनिक स्तर पर है। इस ऑपरेशन ने भारत की हवाई श्रेष्ठता को रेखांकित किया है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: विशेषज्ञों की राय

ऑस्ट्रिया के ख्यातिप्राप्त सैन्य विश्लेषक टॉम कूपर ने इस ऑपरेशन को भारत की "स्पष्ट सैन्य विजय" करार दिया है। अपने ब्लॉग पोस्ट में कूपर ने लिखा "जब एक पक्ष दूसरे के परमाणु भंडारण केंद्रों पर सटीक हमले करता है और दूसरा पक्ष कोई जवाब नहीं दे पाता तो यह युद्ध नहीं बल्कि एकतरफा सफलता होती है।"

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत द्वारा ब्रह्मोस और स्कैल्प-ईजी जैसी लंबी दूरी की मिसाइलों का प्रयोग पाकिस्तानी सैन्य क्षमताओं की तुलना में कहीं अधिक उन्नत और प्रभावी साबित हुआ। पाक के पास ब्रह्मोस का जवाब नहीं है।

पाकिस्तान की चुप्पी और युद्धविराम की अपील

रिपोर्ट्स के अनुसार भारत के हमलों के बाद पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक ने युद्धविराम की पहल करते हुए भारतीय अधिकारियों से संपर्क किया। यह न केवल हमले की गंभीरता को रेखांकित करता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि पाकिस्तान ने पहली बार अपने सामरिक असंतुलन को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया।

कूपर ने पश्चिमी मीडिया की आलोचना करते हुए इसे एक "पीआर स्टंट" बताया और कहा कि पश्चिमी पत्रकारों ने इस सैन्य घटना की गंभीरता को समझने में विफलता दिखाई। उन्होंने यह भी लिखा कि भारत की सैन्य क्षमता को लंबे समय से कमतर आंका गया है जो अब पूरी दुनिया के सामने उजागर हो चुकी है।

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