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Up Kiran, Digital Desk: आपने वो पुरानी कहावत तो जरूर सुनी होगी “बहती गंगा में हाथ धोना।” मगर क्या आपने कभी सोचा है कि जब किसी देश की अव्यवस्था आतंक और अत्याचार के खिलाफ बहती 'गंगा' कोई सैन्य कार्रवाई बन जाए तो उसमें कौन-कौन हाथ धोता है।

पाकिस्तान के भीतर जो गंदगी पिछले कई दशकों से फैल रही थी आतंकवाद सैन्य तानाशाही और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार-अब उसका हिसाब किताब शुरू हो चुका है। भारत की तरफ से आतंक के खिलाफ सख्त रुख तो साफ दिख ही रहा है मगर साथ ही कुछ ऐसे मोर्चे भी खुल चुके हैं जिनकी तरफ दुनिया अब गौर करने लगी है। इन मोर्चों में सबसे अहम नाम है-बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA)।

बीएलए: एक उभरती 'क्रांति' या आतंक के खिलाफ युद्ध

बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) कोई नई ताकत नहीं है मगर अब इसकी मौजूदगी पहले से कहीं ज़्यादा मुखर संगठित और घातक होती जा रही है। हाल ही में BLA ने बलूचिस्तान में 39 से ज्यादा स्थानों पर एक साथ हमले कर पाकिस्तान को झकझोर कर रख दिया। पुलिस थानों पर कब्ज़ा सड़कों की नाकेबंदी और सैन्य काफिलों पर हमले-यह सब कोई छोटे-मोटे विद्रोह नहीं बल्कि एक संगठित अभियान की ओर इशारा करते हैं।

BLA के प्रवक्ता जियंद बलूच के मुताबिक यह अभियान अब भी जारी है और इसके पीछे रणनीतिक लक्ष्य हैं: पाकिस्तान की रीढ़ को तोड़ना।

आतंक का गढ़ बना पाकिस्तान और अंदरूनी विद्रोह

पाकिस्तान की सरकार जिस तरह से दशकों से बलूचिस्तान को नज़रअंदाज़ करती रही है वहां के लोगों का राजनीतिक और आर्थिक शोषण करती रही है वह अब बर्दाश्त के बाहर जा चुका है। BLA का तर्क है कि बलूच लोगों की ज़मीन से निकाली जा रही संपत्ति-गैस खनिज बंदरगाह-कभी भी उन्हीं तक नहीं पहुंचती।

बलूचिस्तान के लोग अपने ही देश में 'कॉलोनी' की तरह जीने को मजबूर हैं और इस व्यवस्था के खिलाफ उनका उठ खड़ा होना अस्वाभाविक नहीं बल्कि ऐतिहासिक प्रतीक बनता जा रहा है।

भारत की भूमिका: सीधी या परोक्ष

भारत ने पाकिस्तान के आतंकवादी नेटवर्कों को निशाना बनाकर पहले ही यह संदेश दे दिया है कि आतंकवाद अब बर्दाश्त नहीं होगा। मगर BLA जैसे संगठनों के उभार को लेकर भारत पर पश्चिमी मीडिया अक्सर यह आरोप लगाता है कि वह इन विद्रोहों को 'मूक समर्थन' दे रहा है।

हालांकि भारत की आधिकारिक नीति में स्पष्ट रूप से किसी भी आतंकवादी या अलगाववादी संगठन को समर्थन देने से इनकार किया गया है मगर कूटनीति और जमीनी सच्चाई में हमेशा कुछ न कुछ 'स्पेस' होता है। ये कहना गलत नहीं होगा कि BLA और भारत का लक्ष्य भले ही अलग हों मगर दुश्मन एक ही है-पाकिस्तान की आतंकपरस्त नीतियां।

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