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Up Kiran, Digital Desk: यदि पाकिस्तान सिंधु जल संधि को निलंबित करने के भारत सरकार के निर्णय के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिकायत और अपील भी करता है तो भी उसे फिलहाल कोई राहत नहीं मिलेगी। वस्तुतः विश्व बैंक की भूमिका मध्यस्थता और सुझाव देने तक ही सीमित है। मामले को अन्य स्तरों पर ले जाने में भी समय लगेगा। इस बीच, भारत से पानी का प्रवाह धीरे-धीरे कम हो जाएगा, जिसका पाकिस्तान पर भारी असर पड़ेगा। दूसरी ओर भारत भी जल्द ही बड़ी सैन्य कार्रवाई कर सकता है।

आपको बता दें कि पाकिस्तान में बहने वाली नदियों के प्रवाह में ज्यादा बदलाव नहीं आया है, मगर भारत ने इसे कम करना शुरू कर दिया है, जो भविष्य में पाकिस्तान के लिए बड़ी समस्या पैदा करेगा। यही कारण है कि पाकिस्तान इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय और सिंधु जल संधि के मध्यस्थ विश्व बैंक के समक्ष उठाने की तैयारी कर रहा है।

अगर मामले को इन तीन स्तरों पर ले जाया जाए तो सुनवाई लंबी चल सकती है। इस बीच भारत की ओर से सैन्य कार्रवाई अपरिहार्य मानी जा रही है, जो इस जल समझौते की भविष्य की स्थिति भी तय करेगी।

पाकिस्तान में बहने वाली तीन नदियाँ झेलम, चिनाब और सिंधु सबसे अधिक प्रभावित होंगी। भारत के पास उरी, बगलिहार और निमू बाघा बांध हैं, जबकि पाकिस्तान के पास मंगला, मराला और जिन्ना बांध हैं। उपयोग के दृष्टिकोण से पाकिस्तान की कृषि और जलविद्युत, पाकिस्तान के बांधों से जुड़ी हुई हैं

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