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एक साथ पैदा हुए दो देशों में एक ने नफरत, आतंकवाद का रास्ता अपनाया, दूसरे ने आतंकवाद से लड़ते हुए पहले देश की नफरत के विरूद्ध विकास का रास्ता अपनाया। आज पहला देश विलुप्त होने के कगार पर है और दूसरा देश विश्व महाशक्ति बनने की कगार पर है। जी हां, बात पाकिस्तान और हिंदुस्तान की हो रही है। आज पाकिस्तान बूढ़े लोगों का देश बनने की कगार पर है जबकि हिंदुस्तान युवाओं का देश बन गया है।

पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो चुकी है। यहां तक ​​कि आतंकवाद के विरूद्ध पाकिस्तान की मदद करने वाला चीन भी अब सऊदी अरब, आईएमएफ और हिंदुस्तान की सहायता करने को तैयार नहीं है।

महंगाई इस हद तक बढ़ गई है कि पाकिस्तानियों के लिए रोज अनाज खाने का समय आ गया है। वहां प्लास्टिक की थैलियों में एलपीजी भरी जा रही है। इन तमाम परेशानियों के बीच यह बात सामने आ रही है कि पाकिस्तान के नौजवानों ने भी पाकिस्तान छोड़ दिया है।

67 % युवाओं ने पाकिस्तान छोड़ने की बात कही है। पिछले सर्वे में पाकिस्तान छोड़ने की चाहत रखने वालों का अनुपात 62 % था। पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स (पीआईडीई) के वरिष्ठ अर्थशास्त्री डॉ. फहीम जहांगीर खान के मुताबिक, देश के 67 % युवा पाकिस्तान छोड़ने के बेहतर मौकों की तलाश में हैं। पाकिस्तान में 31 % युवा बेरोजगार हैं।

 

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