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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमलों के बाद भारत ने पाकिस्तान के बड़े कदमों से सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया। भारत के इस सनसनीखेज फैसले ने पाकिस्तान की सरकार को इसमें शामिल कर दिया। लेकिन पाकिस्तान का जो अगला कदम आया, वो चौंकाने वाला था।

पाकिस्तान सरकार ने चोलिस्तान नहर परियोजना पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। देखने वाली बात ये है कि जब भारत से पानी ही नहीं मिलेगा, तो नहर से भी पाकिस्तान खत्म हो जाएगा क्या?

चोलिस्तान परियोजना पर पहले ही मचा था हंगामा
फरवरी में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कोटा मुनीर और पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने मिलकर पंजाब के रेगिस्तानी इलाके चोलिस्तान में नहर परियोजना का उद्घाटन किया था।

लेकिन इस परियोजना ने पाकिस्तान के अंदर ही नया विवाद खड़ा कर दिया।

सिंध प्रांत में इस परियोजना का भारी विरोध शुरू हो गया था।

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) सहित कई आश्रमों ने इसका पुरजोर विरोध किया।

खास बात यह थी कि विरोध करने वाले पिपील खुद केंद्र में पशु गठबंधन का हिस्सा है, जिसमें पेटेल-एन भी शामिल है।

यानी पाकिस्तान की बेहतर राजनीति भी इस प्रोजेक्ट को लेकर पूरी तरह से चर्चा में थी.

सरफराज और बिलावल ने मिलकर लिया ब्रेक का फैसला
भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और पीपीपी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी से मुलाकात की। इस बैठक में दोनों नेताओं ने चोलिस्तान नहर परियोजना पर पर्यटन पर सहमति जताई।

निर्णय हुआ कि जब तक प्रांतों के बीच सहमति नहीं बनेगी, तब तक इस पर कोई काम आगे नहीं रहेगा।

'काउंसिल ऑफ कॉमन इंटरेस्ट्स' (सीसीआई) में जॉब्स को प्रोजेक्ट के लिए चर्चा होगी।

यानी अब नहर परियोजना पूरी तरह से अंतर-प्रांतीय सहमति पर अटकी हुई है।

सरकार का कथन: सामुहिक गठबंधन के बिना कोई नहर नहीं
'डॉन' अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, स्कूल से बात करते हुए प्रधानमंत्री सरफराज ने कहा कि दोनों कलाकारों ने मिलकर तय किया है कि, "जब तक देशों के बीच आम सहमति नहीं बनी, तब तक किसी भी नए नहर प्रोजेक्ट पर आगे काम नहीं किया।"

यानि अब पाकिस्तान में नदियाँ और नहरों को लेकर जहाज़ों में नहीं बल्कि प्लांट कंसिस्टेंट सेहोगा। लेकिन सवाल यह भी है कि जब पानी की आपूर्ति खतरे में है, तो नहरों का क्या फायदा?

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