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ताइवान की राजधानी ताइपे में बुधवार सुबह तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे शहर में अफरातफरी की स्थिति पैदा हो गई। ताइवान के केंद्रीय मौसम प्रशासन के अनुसार, इस भूकंप की तीव्रता 5.8 मापी गई है। भूकंप के झटकों के दौरान कुछ सेकंड तक इमारतें हिलती रहीं, जिससे लोग घबरा गए और कई जगहों पर लोग घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए।

भूकंप का केंद्र और गहराई

अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण के अनुसार, भूकंप का केंद्र यिलान के दक्षिण-दक्षिण पूर्व में लगभग 21 किलोमीटर की दूरी पर स्थित था। यह केंद्र पृथ्वी की सतह से 69 किलोमीटर की गहराई में था। इस गहराई से आए भूकंप के झटके राजधानी समेत आसपास के क्षेत्रों में साफ महसूस किए गए।

ताइवान: भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र

ताइवान भूकंप के लिहाज से दुनिया के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में गिना जाता है। यहां नियमित रूप से भूकंप आते रहते हैं। 21 सितंबर 1999 को यहां आए 7.7 तीव्रता वाले भयानक भूकंप में लगभग 2,400 लोगों की जान चली गई थी और एक लाख से अधिक लोग घायल हुए थे।

सांख्यिकीय रूप से देखें तो:

1900 से 1991 तक: हर साल औसतन 2,200 भूकंप आए, जिनमें से 214 गंभीर श्रेणी में थे।

1991 से 2004 के बीच: कुल 18,649 भूकंप रिकॉर्ड किए गए।

सिर्फ 1999 में: 49,919 बार धरती हिली थी, जो अब तक का सबसे ज्यादा है।

1900 से अब तक: 96 जानलेवा भूकंप आ चुके हैं।

भूकंप की कैटेगरी और असर

भूकंप को उसकी तीव्रता के आधार पर कई श्रेणियों में बांटा गया है:

2.5 – 5.4 तीव्रता: माइनर भूकंप, जिनमें नुकसान की संभावना बेहद कम होती है।

5.5 – 6 तीव्रता: हल्के खतरनाक, मामूली नुकसान की आशंका।

6 – 7 तीव्रता: मध्यम खतरनाक, संरचनाओं को नुकसान संभव।

7 – 7.9 तीव्रता: गंभीर, इमारतों में दरार या गिरने की आशंका।

7.9 से ऊपर: अत्यंत खतरनाक, व्यापक तबाही की संभावना।

भूकंप क्यों आते हैं?

पृथ्वी की सतह टैक्टोनिक प्लेट्स से बनी होती है, जो निरंतर गति में रहती हैं। जब ये प्लेट्स आपस में टकराती हैं या खिसकती हैं, तो इसके परिणामस्वरूप ऊर्जा बाहर निकलती है और यह ऊर्जा जब सतह तक पहुंचती है, तो भूकंप के झटके महसूस होते हैं। पृथ्वी के भीतर तरल कोर और सतह की गति इस ऊर्जा को जन्म देती है।

स्थिति पर नजर

फिलहाल प्रशासन द्वारा किसी बड़े नुकसान या जान-माल की हानि की पुष्टि नहीं की गई है। लेकिन भूकंप की तीव्रता और ताइवान के भूकंपीय इतिहास को देखते हुए, सतर्कता बरतना जरूरी है। राहत और बचाव एजेंसियां सतर्क हैं और किसी भी संभावित आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।